श्रृंगवेरपुर पीठाधीश्वर नारायणाचार्य जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी शांडिल्य जी महाराज शिष्यों सहित आज वृंदावन पहुंचे। वह वृन्दावन के प्रसिद्ध संत स्वामी प्रेमानंद महाराज से शिष्टाचार मुलाकात किया। उन्होंने स्वामी प्रेमानंद महाराज को रुद्राक्ष की माला, रामानुजाचार्य संप्रदाय की धार्मिक पुस्तक और शाल भेंट की। इस दौरान जगद्गुरु स्वामी शांडिल्य महराज और स्वामी प्रेमानंद महाराज के बीच सनातन धर्म के विविध प्रसंगों पर विस्तार से चर्चा की।
वृन्दावन के प्रसिद्ध संत स्वामी प्रेमानंद महाराज ने कहा कि विश्व कल्याण, लोगों की भलाई के लिए भगवान के नाम का जप करें और करायें। उन्होंने कहा कि साधना करें और सबको करायें। स्वामी प्रेमानंद महाराज ने कहा कि कलयुग में भगवान के नाम की अपार महिमा है।
भगवान का नाम तीनों लोकों के शूल का नाश करने वाला है। उन्होंने कहा कि भगवान का नाम भावलोक की अचूक औषधि है, इसलिए भगवान राम का नाम निरंतर जपते रहना चाहिए, भगवान राम का नाम जप करते रहना बुद्धि को पवित्र करता है।
स्वामी प्रेमानंद महाराज ने कहा कि बिल्कुल पढ़ा लिखा ना हो,लेकिन अगर भगवान का नाम जपे तो उसे ब्रह्म बोध हो जाएगा और भगवत प्राप्ति हो जाएगी। उन्होंने कहा कि आज हमारी जो बुद्धि विमुख हो रही है वह भगवान श्रीराम का नाम ना जपने के कारण हो रही है।
उन्होंने कहा कि भगवान राम का नाम डोर है और उसे जपने वाला पतंग है, डोर हाथ में हो तो पतंग डोरी के अधीन होती है,ऐसे ही भगवान राम का नाम अपार महिमा मय है।
उल्लेखनीय है कि स्वामी प्रेमानंद महाराज का यह उपदेश तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य को जवाब भी है, जिसमें कुछ दिन पहले उन्होंने प्रेमानंद महाराज पर संस्कृत का जानकारी न होने का आरोप लगाया था। स्वामी प्रेमानंद महाराज ने यह कहकर उनकी बात को खत्म कर दिया है कि पढ़ा लिखा ना हो तब भी भगवान राम का नाम जपने से उसे ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति होती है। हालांकि स्वामी राम भद्राचार्य बाद में अपने बयान से पलट गए थे और उन्होंने प्रेमानंद महाराज को अपना छोटा भाई बताया था। उन्होंने कहा था कि मैं तो संस्कृत पढ़ने के लिए ऐसा बयान दिया था, क्योंकि संस्कृत से संत महात्मा भी अगर विमुख होंगे तो संस्कृति कैसे बचेगी।
Anveshi India Bureau