Sunday, July 6, 2025
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महाकुम्भ के अवसर पर संस्कृत में नाट्य प्रस्तुति ” भारतस्य अखंड भारतम् ” का हुआ भव्य मंचन

प्रयागराज। आज शहर की सुप्रसिद्ध नाट्य संस्था सॉफ्ट पॉवर आर्ट एण्ड कल्चर रंगमंडल द्वारा स्वामी विवेकानन्द विद्याश्रम इंटर कॉलेज के सहयोग से सत्र 2024-25 के अंतर्गत संस्कृति भाषा की नाट्य कार्यशाला के अंतर्गत नाट्य प्रस्तुति “भारतस्य अखण्ड भारतम्” का मंचन किया गया। नाट्य प्रस्तुति की शुरुआत सबसे पहले संस्थान के संरक्षक एवं प्रस्तुति नियंत्रक वरिष्ठ ने की। रंगकर्मी श्री के.के.श्रीवास्तव ने सरस्वती वंदना की तथा द्वीप प्रज्ज्वलित कर मुख्य अतिथि विद्यालय के प्रबंधक श्री विजय कुमार तिवारी, विशिष्ट अतिथि श्री अजय मिश्र ने मंच पर फूलों का गुलदस्ता देकर नाट्य प्रस्तुति की शुरुआत की। प्रस्तुति जो इस प्रकार है. बड़ी कठिनाई से और आज के युग में संस्कृत भाषा में नाट्य प्रस्तुति तैयार की।

भरत (महाभारत) भरत प्राचीन भारत के एक चक्रवती सम्राट थे जो कि राजा दुष्यन्त तथा रानी शकुंतला के पुत्र थे। अतः एक चन्द्रवंशी राजा थे। भरत के बल के बारे में ऐसा माना जाता है कि वो बाल्यकाल के वन में खेल ही खेल में अनेक जंगली जानवरों को पकड़कर या तो उन्हें पेड़ों से बाँध देते थे या फिर उनकी सवारी करने लगते थे। इसी कारण ऋषि कण्व के आश्रम के निवासियों ने उनका नाम सर्वदमन रख दिया।

उद्देश्य अखण्ड भारत के बारे में जानकारी प्राप्त होगी किसी भी धर्मस्थल चाहे भारत हो। या कोई भी देश हो उसका मूल उद्देश्य नामकरण कैसे हुआ इसको एकीकरण करके समाज कल्याण के पावन ध्येय से राष्ट्र की जनता में एकता की भावना उत्पन्न कराना है। अखण्ड भारत विश्व गुरू के रूप में पहचाना जाने लगा है। महान ऋषियों, देवताओं की नगरी भारत का नाम कैसे पड़ा अब कितने देश बने इन सारे विषयों को इस नाटय प्रस्तुती के माध्यम से दिखाय जायेगा इस भूमि का चयन करने का क्या कारण था कि प्राचीन काल में जम्मू द्वीप एक मात्र ऐसा दीप था जहाँ रहने के लिए उचित वातावरण था उसमें भी भारत वर्ष की जलवायू सबसे उत्तम थी यहीं विवस्ता नदी के पास स्वयभू मनु एवं उनकी पत्नी सतरूपा निवास करते थे राजा प्रिवत्र अपनी पुत्री के 10 पुत्रों में से 07 को सम्पूर्ण धरती के 08 महाद्वीपों का राजा बनाया दिया गया था आग्निन्नं को जम्बू द्वीप का राजा बना दिया था इस

प्रकार राजा भरत ने जो क्षेत्र अपने पुत्र समती को दिया था वो भारत वर्ष कहलाया। भारत वर्ष अर्थात भरत राजा का क्षेत्र-

प्रस्तुति समापन के बाद दर्शकों की समझ एवं भवनाओं से लोगों कहो नही लग रहा था की संस्कृत भाषा समस्या कर रही थी दर्शकों की तालियों की आवाज से समझ आ रहा था कि प्रस्तुति सफलातापूवर्क समापन हुआ असके बाद मुख्य अतिथि महोदय को पुनः मंच पर आमंत्रित किया और उन्हें सॉल एवं संस्था प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया उन्हें प्रस्तुति के बारे दो शब्द से सज्जित के लिए कहा गया। उन्होंने कहा कि आप के दौर में संस्कृत भाषा में नाट्य प्रस्तुति कौन मंचन करता है और कौन देखने आता लेकिन मैं विद्यालय प्रथम बार इस तरह प्रयास संस्था SPAC ने बच्चों को लेकर 30 दिन में नाट्य प्रस्तुति संस्कृत में तैयार किया गया कहीं से नहीं लग रहा था की नाट्य प्रस्तुति संस्कृत भाषा में है सृष्टी की संरचना कैसे हुई और कैसे भारत नाम पड़ा और अन्त में अखण्ड भारत से भरतस्य अखण्ड भारतम हुआ ये सनातन संस्कृति की बहुत बड़ी पहचान में अपने तह दिल से नाट्य निर्देशक को साडूंवाद देता सभी कलाकारों को बधाई देता हूँ इसके बाद बारी-बारी कलाकारों का पत्र परिचय करवाया गया। जो इस प्रकार है-

मंच पर

पीयूष-विष्णू, आयूष पाण्डेय-बह्मा जी, वेद-बहमासहयोगी, अर्थव बहमासहयोगी, जुली-मदिरा, हर्ष पाण्डेय-मनु, असिता सतरूपा, अमन चौधरी बंगाली, भुपेन्द्र जी-कण्व ऋषि, शिवा साहू-राजा दुष्यंत, प्रिंश यादव भरत, अन्नया पाण्डेय-र्निलाजत, अतुल-आलस्य, आदविक पाण्डेय-शेर, अनिकेत साहू-मंत्री, आयुष वर्मा भूत, आयुष-धुरिया दरबारी सैनिक

 

मंच परे

 

प्रस्तुति नियंत्रक मनीष कपूर,प्रदर्शन नियंत्रक केके श्रीवास्तव, रिहर्सल प्रभारी पूजा चौबे, सह-निर्देशन-हर्ष पांडे, मंच सज्जा अमन चौधरी कार्यशाला प्रशिक्षक एवं निर्देशन ज्ञान चंद्रवंशी, कार्यशाला एवं रंगमंच प्रदर्शन भारतस्य अखंड भारत

 

संस्था द्वारा नाट्य प्रस्तुति- सॉफ्ट पॉवर आर्ट एण्ड कल्चर, सहयोगकर्ता- माननीय अजय मिश्रा जी (प्रधानाचार्य, स्वामी विवेकानन्द विद्याश्रम इण्टर कॉलेज)

 

Anveshi India Bureau

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