अभिनेत्री ममता कुलकर्णी स्त्री हैं, फिर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कैसे हो सकती हैं। किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने ही सवाल उठाए हैं। इन सवालों पर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने जवाब दिया है।
अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी देने पर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने ही सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने ममता के पिछले विवादों का हवाला देते हुए कहा कि किन्नर अखाड़ा किन्नरों के लिए है, फिर एक स्त्री को महामंडलेश्वर क्यों बनाया गया?
अगर इसी तरह हर वर्ग को महामंडलेश्वर बनाना है तो फिर अखाड़े का नाम किन्नर क्यों रखा गया है? समाज उनके अतीत को अच्छी तरह जानता है। उन्हें ड्रग्स मामलों में जेल भी जाना पड़ा था। ऐसे इंसान को महामंडलेश्वर की उपाधि देकर आप सनातन धर्म को किस तरह का गुरु दे रहे हैं?
यह नैतिकता का सवाल है। शनिवार को मीडिया से बातचीत के दौरान हिमांगी सखी ने कहा कि ममता के सीधे महामंडलेश्वर बनने से इस पद की गरिमा घटी है। उन पर डी-कंपनी से भी जुड़ाव के आरोप हैं।
वहीं, शांभवी पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप ने भी ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने को सनातन परंपरा के विपरीत ठहराया। कहा, संन्यास दीक्षा से पहले शंकराचार्य की अनुमति आवश्यक है। उन्हें जल्दबाजी में दीक्षा देकर सनातन धर्म का अपमान किया गया है।
इन सवालों पर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि जब सना खान ने वापस इस्लाम धर्म कुबूल कर लिया, तब किसी धर्माचार्य ने आपत्ति नहीं उठाई। अब जब हिंदू धर्म के लोग अखाड़ों से जुड़ रहे हैं, तब इनको पीड़ा हो रही है। हम सनातन धर्म को आगे बढ़ाने का काम करते रहेंगे।
12 साल के ब्रह्मचर्य के बाद ली संन्यास दीक्षा: ममता
उधर, किन्नर अखाड़े से महामंडलेश्वर की पदवी मिलने के बाद छिड़े विवाद पर फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी (श्रीयामाई ममतानंद गिरि) ने कहा कि वह पिछले 12 साल से कठोर ब्रह्मचर्य में हैं। बेहद लंबी तपस्या करने के बाद संन्यास दीक्षा ली हैं। सिर्फ लाइमलाइट में आने के मकसद से उन्होंने यह राह नहीं चुनी।
शनिवार को सेक्टर-16 संगम लोअर मार्ग स्थित किन्नर अखाड़ा शिविर में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते समय हुए ममता कुलकर्णी ने कहा, सनातन की परंपरा निभाना कठिन है। संन्यास लेना कोई फैशन नहीं है। कुछ को मेरी यह अवस्था देखकर दुख हो रहा होगा।
यह बात लोगों को समझनी होगी। अंडरवर्ल्ड से जुड़े विवादों को लेकर पूछे गए सवाल पर टालने के अंदाज में जवाब देते हुए कहा कि मां सीता को भी अग्निपरीक्षा देनी पड़ी थी। फिर भी वह दूसरे वनवास से नहीं बच सकीं।
इस तरह के विवादों को लेकर कुछ अधिक नहीं कहा जा सकता। ममता ने संन्यास पर खुलकर बात की। कहा, शायद उनके पिछले जन्म का प्रारब्ध था, जो अब वह यहां तक पहुंचीं हैं। कहा, उनकी दादी से आदि शक्ति ने सपने में आकर उनका नाम यामाई रखने को कहा था।
यामाई का मतलब मृत्यु की मां है। कहा, यामाई मां का दर्शन करने के बाद उन्होंने बालीवुड में प्रवेश किया था। इसके बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब उन्हीं यामाई मां को अपने नाम के साथ जोड़ा है। किन्नर अखाड़े से जुड़ाव के बारे में बात करते हुए कहा अर्धनारीश्वर स्वरूप में उनकी गहरी आस्था है। यह स्वतंत्र अखाड़ा है। उनके रहन-सहन पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाएगा।
मुंडन संस्कार के कारण जूना अखाड़े से नहीं जुड़ीं
ममता ने बताया कि जूना अखाड़े में भी उनकी संन्यास दीक्षा की बात चल रही थी, लेकिन मुंडन संस्कार की शर्तों के चलते वह शामिल नहीं हुईं। सनातन बोर्ड के सवाल पर ममता ने कहा- इसकी जरूरत है।
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