Saturday, March 15, 2025
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UP: हाईकोर्ट ने अनचाहे गर्भ को समाप्त करने का आदेश दिया, भ्रूण के ऊतक बतौर साक्ष्य संरक्षित करने को कहा

याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि युवती यौन उत्पीड़न का शिकार होने के कारण गर्भवती हुई है। मामले की एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है। लोक-लाज के कारण पीड़िता अनचाहे गर्भ से मुक्ति पाना चाहती है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीएमओ कानपुर नगर को यौन उत्पीड़न की शिकार युवती के अनचाहे गर्भ को तीन दिन में समाप्त कर भ्रूण के ऊतक व रक्त के नमूने को बतौर साक्ष्य संरक्षित करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डी. रमेश की अदालत ने कानपुर की एक पीड़िता की ओर से दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि युवती यौन उत्पीड़न का शिकार होने के कारण गर्भवती हुई है। मामले की एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है। लोक-लाज के कारण पीड़िता अनचाहे गर्भ से मुक्ति पाना चाहती है। सीएमओ कानपुर नगर के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया था। लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं हुई। लिहाजा, पीड़िता को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

इससे पहले कोर्ट ने सीएमओ से मेडिकल बोर्ड गठित कर रिपोर्ट तलब की थी। पेश हुई रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता 15 सप्ताह और 2 दिन की गर्भावस्था में थी। सरकार की ओर से पेश स्थायी अधिवक्ता ने शासनादेश का हवाला दे बताया कि यौन उत्पीड़न के मामले में 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी जा सकती है।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों व सरकार के शासनादेशों के आलोक में तीन दिन में पीड़िता का भ्रूण समाप्त करने व भ्रूण के ऊतक (कोशिकाओं के समूह) व रक्त को आपराधिक मुकदमे के लिए बतौर साक्ष्य संरक्षित रखने का आदेश देते हुए याचिका निस्तारित कर दी।
Courtsy amarujala.
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