इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मात्र चयन हो जाने से किसी को भर्ती का अधिकार नहीं मिल जाता। भर्ती प्रक्रिया के लिए एक समय सीमा तय होनी चाहिए। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने टीजीटी भर्ती-2013 में नियुक्ति पत्र न पाने वाले अवशेष पैनल में चयनित उम्मीदवारों की ओर से दाखिल याचिका खारिज कर दी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मात्र चयन हो जाने से किसी को भर्ती का अधिकार नहीं मिल जाता। भर्ती प्रक्रिया के लिए एक समय सीमा तय होनी चाहिए। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने टीजीटी भर्ती-2013 में नियुक्ति पत्र न पाने वाले अवशेष पैनल में चयनित उम्मीदवारों की ओर से दाखिल याचिका खारिज कर दी। यह आदेश सौरभ श्याम शमशेरी ने गोरखपुर के गौरव कुमार, अलीगढ़ के पंकज कुमार और 57 अन्य की याचिका पर दिया।
याचियों का कहना था कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज की ओर से टीजीटी-2013 भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। विज्ञापित पदों की संख्या घटाकर अंतिम परिणाम घोषित किया गया। इसके खिलाफ उम्मीदवारों ने याचिका दाखिल की। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर चयन बोर्ड ने 2019 में 1167 चयनित उम्मीदवारों का अवशेष पैनल जारी किया। इसमें लगभग 860 उम्मीदवारों को नियुक्ति दे दी गई, लेकिन लगभग 307 उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया। इसके खिलाफ ही उम्मीदवारों ने याचिका दाखिल की।
याची के अधिवक्ता अभिषेक कुमार सरोज, प्रभाकर अवस्थी और राहुल अग्रवाल ने दलील दी कि याची चयन बोर्ड की ओर से निकाले गए अवशेष पैनल में चयनित उम्मीदवार हैं। ऐसे में चयन बोर्ड को याचियों को नियुक्ति पत्र देना चाहिए। प्रतिवादी वकीलों ने दलील दी कि पदों की संख्या सत्यापित नहीं की गई थी और गलत तरीके से रिक्तियों की सूची में याचियों का नाम डाल दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि अब इस भर्ती प्रक्रिया को शुरू किए सालों बीत चुके हैं। इतने लंबे समय तक भर्ती प्रक्रिया को खुला रखना और अब नियुक्ति का निर्देश देना न्याय का उपहास होगा। कोर्ट ने पूर्व में दिए गए हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए याचिका खारिज कर दी।
Courtsy amarujala.