Sunday, September 14, 2025
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भक्ति रस प्रेम का अद्भुत रसायन” – प्रो० सविता

प्रयागराज। शास्त्रो और कर्मकाण्डों में उलझी भक्तिरस की अलौकिक धारा को बंधन मुक्त कर समाज में प्रसारित करने का अ‌द्भुत और अलौकिक कार्य कबीर ने किया। कबीर किसी धर्म को स्वीकार नहीं किया, उनका मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है इसलिये किसी धर्म में उलझने की जरूरत नहीं है। यह वक्तव्य हेमवती नन्दन बहुगुणा राजकीय महाविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो० सविता कुमारी श्रीवास्तव ने व्यक्त किये। वह गरूवार को ठा० हर नारायण सिंह डिग्री कॉलेज में हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित विशेष व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहीं थी।

 

उन्होंने कहा कि ईश्वर का स्मरण उतना ही कठिन है जितना कठिन सूली पर नट का विधान करना है। उन्होंने कबीर के निष्काम भक्ति की विस्तार से चर्चा की। विशेष व्याख्यान की शुरुआत मुख्य वक्ता द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ० अजय कुमार गोविन्द राव ने जीवन में अन्तर्द्वन्द्व से ऊपर उठकर सोचने की जरूरत बतायी। उन्होने कबीर की भक्ति साधना और उनके विचारों को जीवन में आत्मसात करने पर बल दिया। अतिथियों का धन्यवाद हिन्दी विभाग की अध्यक्ष डॉ० पूजा ठाकुर ने किया। संचालन डॉ० अम्बिका प्रसाद ने किया। इस अवसर पर डॉ० एस०आई०एच० जाफरी, डॉ० ज्योति यादव, श्री संदीप कुमार सिंह, श्री विजय आनन्द सिंह, श्री विवेक मिश्रा, डॉ० सुभाष चन्द्र, श्रीमती मोनिका कुशवाहा, सुश्री प्रिया सिंह, डॉ० आरती जायसवाल, श्री अभिषेक श्रीवास्तव, कार्यालय अधीक्षक आई०बी० सिंह तथा लगभग 450 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

 

Anveshi India Bureau

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