Ambedkar Jayanti 2025: हर वर्ष 14 अप्रैल को देश में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है। डॉ. भीमराव अंबेडकर का मानना था कि शिक्षा हर किसी को मिलनी चाहिए, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या समाज से आता हो। आज के इस खास मौके पर जानते है डॉ. आंबेडकर के पास कितनी डिग्रियां थीं।
डॉ. भीमराव अंबेडकर के बारे में
वे कहते थे कि “शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो”, इसी मंत्र के साथ उन्होंने दलितों, महिलाओं और श्रमिक वर्ग के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। वे भारत रत्न से सम्मानित होने वाले महान विभूतियों में से एक हैं। उन्होंने समाज में दलितों और पिछड़ों के उत्थान के लिए अपना समर्पित जीवन खपा दिया। उनका विश्वास था कि हर व्यक्ति को समान अवसर मिलना चाहिए—चाहे वह किसी भी जाति, वर्ग या लिंग से संबंधित क्यों न हो।
सामाजिक और आर्थिक भेदभाव का सामना करने वाला बाबा साहेब ने इन परिस्थितियों के सामने हार नहीं मानी और उच्चतम शिक्षा हासिल करने का प्रयास जारी रखा। स्कूल-कॉलेज से लेकर नौकरी तक में उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा।
डॉ. आंबेडकर की जयंती के मौके पर आइए जानते है उनकी शिक्षा-दीक्षा के बारे में…


हालांकि, बड़ौदा राज्य के दीवान द्वारा भारत बुला लिए जाने के कारण उन्हें पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और बाद में उन्होंने बार-एट-लॉ और डीएससी की डिग्रियां भी प्राप्त कीं। डॉ. अंबेडकर ने जर्मनी के प्रसिद्ध बॉन विश्वविद्यालय में भी कुछ समय तक अध्ययन किया।

32 डिग्रियां और 9 भाषाओं के ज्ञाता थे डॉ. आंबेडकर
डॉ. आंबेडकर ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मात्र 2 साल 3 महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी कर, “डॉक्टर ऑफ साइंस” की प्रतिष्ठित उपाधि प्राप्त की। वे इस डिग्री को प्राप्त करने वाले न केवल पहले भारतीय थे, बल्कि आज तक के एकमात्र व्यक्ति भी हैं जिन्होंने यह सम्मान प्राप्त किया।

भारतीय ध्वज में “अशोक चक्र” को स्थान दिलाने का श्रेय भी डॉ. आंबेडकर को ही जाता है। उनकी प्रसिद्ध आत्मकथात्मक पुस्तक “वेटिंग फॉर ए वीज़ा” कोलंबिया विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम का हिस्सा है।
6 दिसंबर 1956 को नई दिल्ली में उनका निधन हुआ और उन्हें बौद्ध रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम विदाई दी गई। भारत सरकार ने उन्हें 1990 में मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया।