Sunday, September 14, 2025
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High Court : एसआरएन की बदहाली पर नाराज कोर्ट ने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को किया तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसआरएन अस्पताल की बदहाल व्यवस्था पर सख्त नाराजगी जताई है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा के हलफनामे को केवल खानापूरी बताते हुए उन्हें 30 मई 2025 को न्यायालय में 11:30 बजे उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसआरएन अस्पताल की बदहाल व्यवस्था पर सख्त नाराजगी जताई है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा के हलफनामे को केवल खानापूरी बताते हुए उन्हें 30 मई 2025 को न्यायालय में 11:30 बजे उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। यह आदेश बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने डॉ.अरविंद कुमार गुप्ता की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल की स्थिति दयनीय है। इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

प्रमुख सचिव की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बैठक पर्याप्त नहीं है। उन्हें कम से कम अस्पताल और मेडिकल कॉलेज का दौरा कर व्यवस्था का जायजा लेना चाहिए। इस दाैरान कोर्ट में हाजिर एसआरएन के प्रमुख अधीक्षक आरबी कमल ने बताया कि सफाई का काम शुरू हो गया है। ट्रॉमा सेंटर के साथ-साथ गैस्ट्रोलॉजी और कॉर्डियोलॉजी आईसीयू में एसी काम करने लगे हैं। दवाओं की खरीद के आदेश भी दिए जा चुके हैं। डॉक्टर समय पर ओपीडी में उपस्थित हो रहे हैं।

अस्पताल के डॉक्टरों की सूची भी कोर्ट में पेश की गई। उन्होंने बताया कि लगभग 50 प्रतिशत डॉक्टर संविदा के आधार पर कार्यरत हैं। वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एके तिवारी ने कोर्ट में बताया कि मोर्चरी के अंदर और आसपास साफ-सफाई सहित अन्य व्यवस्थाएं दुरुस्त की गई हैं। भरोसा दिलाया कि मोर्चरी के संबंध में आगे से ऐसी कोई शिकायत नहीं आएगी। नगर निगम की ओर से भी कहा गया कि स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल परिसर के अंदर और आसपास सफाई की जा रही।

वहीं, कोर्ट ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के छात्रावास की स्थिति बेहद खराब है। प्रयागराज के साथ ही अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी छात्रावास रहने लायक नहीं हैं। कोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार की ओर से भी अस्पताल प्रबंधन के लिए उचित धन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। यही कारण है कि 2019 से निर्माणाधीन बाल चिकित्सा विंग अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है। बाल रोग विभाग सरोजिनी नायडू बाल चिकित्सालय, चर्च लेन में चल रहा है।

कोर्ट ने अगली तिथि पर 30 मई को प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा उत्तर प्रदेश को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है। साथ ही एसआरएन के प्रमुख अधीक्षक, उप अधीक्षक और मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रयागराज भी उपस्थित रहेंगे।

प्रयागराज में चिकित्सा सुविधाओं की कमी

कोर्ट ने कहा कि प्रयागराज में 2025 के महाकुंभ में दो महीने के अंदर लगभग 66 करोड़ लोगों ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई थी। इतनी बड़ी संख्या के हिसाब से यहां पर चिकित्सा सुविधाएं बेहद कम हैं। राज्य सरकार का ध्यान प्रयागराज के बजाय लखनऊ पर केंद्रित है। वहां संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान स्थित हैं, जबकि प्रयागराज में इस स्तर का एक भी अस्पताल नहीं है।

एम्स की मांग: कोर्ट को सूचित किया गया कि प्रयागराज में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) स्थापित करने के लिए एक जनहित याचिका दायर की गई है। वहीं, केंद्र सरकार ने एक हलफनामे में कहा है कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत केंद्र सरकार ने पहले ही 233 बिस्तरों और सात ऑपरेशन थिएटरों वाले एक सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक को मंजूरी दी है।

एसआरएन के उप अधीक्षक को लगाई फटकार, दी चेतावनी

कोर्ट ने अस्पताल में भोजन और एंबुलेंस की बदहाल व्यवस्था पर एसआरएन के उप अधीक्षक गौतम कुमार को मौखिक रूप से कड़ी फटकार लगाई। कहा कि शहर में आपकी बड़ी शोहरत है, जो भी कर रहे हैं बंद कर दीजिए। एलआईयू से रिपोर्ट मंगाने वाले हैं। आयकर विभाग से भी जांच कराएंगे।

Courtsy amarujala
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