हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कुशीनगर के जिला कार्यक्रम अधिकारी शैलेंद्र कुमार राय के निलंबन में हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने उन्हें चार सप्ताह के भीतर अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील दाखिल करने का निर्देश दिया।
इलाहबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यौन उत्पीड़न के आरोपी एचओडी का निलंबन कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों में सुरक्षा का भरोसा जगाता है। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कुशीनगर के जिला कार्यक्रम अधिकारी शैलेंद्र कुमार राय के निलंबन में हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने उन्हें चार सप्ताह के भीतर अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील दाखिल करने का निर्देश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने दिया।
याची शैलेंद्र कुमार राय ने मुख्य सचिव बाल विकास और पोषण, उत्तर प्रदेश के निलंबन आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उनका कहना था कि जिन शब्दों का उन्होंने प्रयोग किया, वह कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम-2013 के अंतर्गत नहीं आते हैं।याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि शिकायतकर्ता महिला कर्मचारी ने बयान में कहा है कि याची ने उसे मोटी कहा था। कई बार शाम को सैर के लिए साथ चलने के साथ भोजन पर आमंत्रित किया था, जो कि यौन उत्पीड़न नहीं है।
प्रतिवादी के वकील ने दलील दी कि याची की टिप्पणियां उचित नहीं थीं। पूरे घटनाक्रम को एक साथ लिया जाए तो कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का मामला बनता है। यही नहीं एक अन्य महिला के यौन उत्पीड़न के संबंध में याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एक प्राथमिकी को भी अदालत के समक्ष रिकॉर्ड पर लाया गया। दलील दी गई कि विभाग में काम करने वाली कई महिलाएं याची के व्यवहार से असहज महसूस करती हैं।