यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ हरिकेश बहादुर सिंह की जनहित याचिका पर दिया। याची ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में कार्यकारिणी परिषद का गठन किए जाने की मांग में जनहित याचिका दाखिल की थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में कार्यकारिणी परिषद का गठन नहीं किए जाने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए अंतिम चेतावनी दी। कहा, शिक्षा मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग 29 जुलाई तक जवाब नहीं दिया जाता है तो कोर्ट आदेश पारित करने के लिए बाध्य होगा, जो प्रतिवादियों के अनुकूल नहीं होगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ हरिकेश बहादुर सिंह की जनहित याचिका पर दिया। याची ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में कार्यकारिणी परिषद का गठन किए जाने की मांग में जनहित याचिका दाखिल की थी। याची का कहना है कि कार्यकारिणी को ही विश्वविद्यालय के लिए नियम बनाने, वित्तीय और नियुक्ति सहित अन्य मामलों में फैसला लेने का अधिकारी है। कार्यकारिणी न होने से सारे फैसले कुलपति ही ले रहे हैं। ये नियमानुसार ठीक नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।
कोर्ट ने बुधवार को पाया कि पिछली कई तारीखों से केंद्र सरकार के वकील की ओर से व्यक्तिगत कठिनाई के कारण समय मांगे जाने पर अंतिम अवसर दिया गया था और मामले को 16 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया गया था। निर्धारित तिथि के ढाई महीने बाद भी प्रतिवादियों के वकील ने एक बार फिर निर्देश प्राप्त करने के लिए समय की मांग की। वकील ने कोर्ट को बताया कि संबंधित सचिव, शिक्षा मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग, नई दिल्ली को सूचित करने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
न्यायालय ने इस पर नाराजगी जताते हुए एक और अवसर दिया है। स्पष्ट किया है कि यदि अगली तारीख पर जवाब उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो न्यायालय आदेश पारित करने के लिए बाध्य होगा। अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगा।
Courtsy amarujala