अखिल भारतीय दण्डी संन्यासी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री पीठाधीश्वर स्वामी रामाश्रम शास्त्री महराज 65 वर्ष से गंगा तट गढवा, श्रृंगवेरपुर धाम में बने अपने आश्रम में पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक कर रहे है। स्वामी जी का मानना है कि भगवान भोलेनाथ का सभी को पूजन करना चाहिए क्योंकि उनका जैसा नाम है वह वैसे सरल स्वभाव और प्रकृति के है। वह अपने भक्तों के ऊपर कोई कष्ट नही आने देते हैं बल्कि पूजन, अर्चन करने वालों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
पीठाधीश्वर स्वामी रामाश्रम महराज का कहना है कि मलमास और संतों के चातुर्मास के दौरान भगवान शिव का पूजन, अभिषेक और विशेष श्रृंगार करना चाहिए जिससे कि वह प्रसन्न हो और उनकी कृपा हम, सब पर बनी रहे। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन शाम को शिष्यों के साथ मां गंगा की तट पर आरती करते हैं।
पीठाधीश्वर स्वामी रामाश्रम शास्त्री महराज का कहना है कि श्रृंगवेरपुर धाम के गढ़वा में आश्रम है जो गंगा तट पर स्थित है। 65 वर्ष से प्रतिदिन भोर में सुबह चार बजे उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर गंगा स्नान के बाद आश्रम में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर रूद्राभिषेक करता हूं,इस दौरान गंगा जल, दूध,दही, शहद, शक्कर, घी, गन्ने के रस से भगवान शिव का भव्य अभिषेक करता हूं, उसके बाद भस्म, चंदन से अभिषेक होता है। धतूरा, बेलपत्र, बेल, शमी, सफेद व नीला फूल,कमल का फूल, कनेर का फूल सहित अन्य से श्रृंगार करता हूं। उन्होंने बताया कि इस पूजन से शांति, ऊर्जा, नयी सोच और नयी दिशा मिलती है
Anveshi India Bureau