शंकरगढ़(प्रयागराज) सावन केवल एक ऋतु नहीं, यह भारतीय सांस्कृक्तिक चेतना का सबसे मधुर, सबसे भावपूर्ण अध्याय है । जब आकाश से जलधाराएं गिरती हैं, धरती हरी चुनर ओढ़ लेती है और वातावरण में माटी की सोंधी गंध के साथ हर हर महादेव की ध्वनि गूंजती है, तब सावन अपने चरम सौंदर्य पर होता है । उक्त बातें भाजपा सहयोगी दल अपना दल एस पार्टी से बारा विधानसभा के विधायक वाचस्पति ने कही । उन्होंने कहा कि सावन में केवल बादल नहीं बरसते, यह महीना भावनाओं की भी वर्षा करता है प्रेम, भक्ति, उल्लास और आत्मिक जुड़ाव की वर्षा ,सावन की बारिश में भीगने का आनंद केवल तन को नहीं, मन को भी भिगोता है । यह वह समय होता है जब प्रकृक्ति स्वयं एक कलाकार की तरह अपने रंगों से पृथ्वी को सजाती है । हरे भरे पेड़, झूमते खेत, रंग-बिरंगे फूल, और कोयल की कूक यह सब मिलकर मनुष्य को फिर से प्रकृति से जोड़ते हैं । विधायक वाचस्पति ने कहा कि हम भले ही आधुनिकता की चकाचौंध में खो जाएं, लेकिन सावन हमें हमारी जड़ों की ओर वापसी का निमंत्रण देता है । यह महीना केवल प्राकृतिक सौंदर्य तक सीमित नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा से भी ओत-प्रोत है । यह भगवान शिव का प्रिय मास है, जब भक्तजन कांवर यात्रा, जलाभिषेक और विशेष पूजा-पाठ में लीन हो जाते हैं । सावन शिवत्व का प्रतीक है , तो वहीं सावित्री नर्सिंग होम एंड ट्रामा सेंटर के प्रबंधक डॉ. विनोद त्रिपाठी ने कहा कि यह वह कालखंड है जब आत्मा और परमात्मा के बीच की दूरी कम हो जाती है । जल की बूंदों की तरह हम भी शिव की चरणों में समर्पित हो जाते हैं । इस महीने का एक और सुंदर पहलू है ,सामाजिक जुड़ाव और पारिवारिक आत्मीयता गाँवों में झूले पड़ते हैं, गीत गाए जाते हैं, महिलाएं मेहंदी रचाती हैं और सावन की रातों में चांदनी के नीचे उत्सव मनाए जाते हैं । यह केवल भक्ति का नहीं, सौहार्द और संस्कृति का भी समय है । डॉ. विनोद कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सावन भारतीय जीवन पद्धति का आइना है, जिसमें प्रकृक्ति, परंपरा और परमेश्वर तीनों का सजीव समागम दिखाई देता है । सावन हमें यह भी सीखना है कि जीवन में विराम भी आवश्यक है भीगती धरती की तरह हमें भी कभी-कभी खुद को खोल देना चाहिए, अपने भीतर की सूखी परतों को भक्ति प्रेम और शांति की वर्षा से नम करना चाहिए । सावन मनुष्य के भीतर के शुष्क मरुस्थल को भक्ति की वर्षा से सिंचित करता है, उन्होंने कहा कि सावन एक भाव है, एक स्पंदन है जो प्रकृक्ति के माध्यम से आत्मा तक पहुंचता है । इसमें वह सामर्थ्य है जो हमें भीतर से शुद्ध, शांत और संपूर्ण बना देता है ।