उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय नौटंकी समारोह के तीसरे दिन विजय बहादुर श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित नौटंकी महाराजा भर्तहरि का मंचन बुधवार को सांस्कृतिक केंद्र प्रेक्षागृह में हुआ। दर्शकों के तालियों के बीच नौटंकी शुरु होती है, जिसे देखने देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। भर्तृहरि नाटक के दृश्य को देखकर लोग भाव विभोर हुए, तो कई बार हंस-हंस कर लोटपोट भी हुए। नाटक में दिखाया गया है कि वेश्या चम्पा का देशभक्ति तथा निःस्वार्थ प्रेम देखकर किस तरह राजा का ह्रदय परिवर्तित हो जाता है। चम्पा को कोई इज़्ज़त नहीं देता, पर उसके मन में देश, राजा और जनता के लिए असीम प्रेम है। अपने प्रेमी से मिला अमरफल वह राजा भरथरी तक पहुँचाती है ताकि राजा अमर रहे, राज चलता रहे और जनता सुख-शांति में रहे। जब राजा उस फल को देखता है तो हैरान रह जाता है। उसे समझ आता है कि रानी पिंगला का प्यार असली नहीं, सिर्फ दिखावा है और दरोगा समर सिंह की चालें सिर्फ स्वार्थ से भरी हैं। वहीं चम्पा जैसी तिरस्कृत औरत का दिल कितना साफ और निःस्वार्थ है। इससे राजा का मन बदलता है, वह अपने भाई विक्रम के पास लौटता है। पछताकर राजपाट छोड़ देता है और बाबा गोरखनाथ की शरण में चला जाता है। राजा हार नहीं मानता है, तप करके महान बनता है। उसका भाई विक्रम भी साधना में श्रेष्ठ बनता है। राजा अपने अनुभवों को संस्कृत श्लोकों में लिखता है और बताता है कि जीवन का असली उद्देश्य कल्याण, सेवा और देशहित है। इसके साथ ही नाटक का समापन हो गया। हारमोनियम पर गरीब चन्द्र, नक्कारा पर राजाराम, ढोलक पर अरविंद और मंजीरा पर प्रेमचंद्र ने साथ दिया। सभी कलाकारों ने अपने उम्दा अभिनय से दर्शकों से खूब तालियां बटोरी। केंद्र निदेशक सुदेश शर्मा ने सभी कलाकारों का आभार व्यक्तत किया। इस अवसर पर केंद्र के समस्त अधिकारी, कर्मचारी सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरषार्थी ने किया।
Anveshi India Bureau