Saturday, September 13, 2025
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राजा हरिश्चंद्र की प्रस्तुति में लोक कलाकारों ने किया भाव विभोर

महात्मा गांधी से लेकर न जाने कितने लोग सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र नाटक की कथा से प्रभावित हुए हैं, लेकिन जब इस कथा को नौटकी शैली में सांस्कृतिक केंद्र प्रेक्षागृह में लोक कलाकारों ने मंचित किया तो पूरा प्रेक्षागृह भाव विभोर हो गया। नीति, दर्शन, नैतिकता, सत्यवादिता सहित इस कथा के अनेक पहलुओं ने दर्शकों को बांधे रखा। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय नौटंकी समारोह में गुरुवार को नौटंकी की कानपुर की शैली और कलाकारों के देसज संवाद ने लोगों को जोड़े रखा। केंद्र निदेशक सुदेश शर्मा ने मुख्य अतिथि प्रो. स्वतंत्र शर्मा को पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया।

 

नौटंकी प्रशिक्षण केंद्र, कानपुर की ओर से की गई प्रस्तुति में अनुप्रिया चौहान राजा हरिश्चंद्र की पत्‍‌नी तारामति की भूमिका में थी तो उपहार मिश्रा हरिश्चंद्र की भूमिका में। कार्यक्रम के प्रारंभ में कलाकारों ने प्रसिद्ध लोक रचनाएं रंगमंच के चरणों में रंगकर्मी शीश नवाता है , रंगकर्मी का जन्म जन्म से नाता है …….की झलक दिखाई तो दर्शकों तालियों से इसका स्वागत किया। कहानी सत्यव्रत के पुत्र राजा हरिश्चंद्र उनकी पत्नी तारा एवं पुत्र रोहित के ईर्द-गिर्द घूमती है। राजा हरिश्चंद्र की प्रसिद्धि चारों ओर फैल जाती है। ऋषि विश्वामित्र उनकी इस सत्य निष्ठा की परीक्षा स्वयं लेना चाहते हैं। एक दिन राजा हरिश्चंद्र ने सपना देखा कि उन्होंने अपना सारा राजपाट विश्वामित्र को सौंप दिया है। अगले ही दिन विश्वामित्र राजा के पास साक्षात पहुंच जाते हैं। राजा ने अपना सब कुछ विश्वामित्र को सौंप दिया। जब हरिश्चंद्र ने विश्वामित्र से पांच मुहरें मांगी तो उन्होंने कहा कि राजन आप सबकुछ दान में दे चुके हैं। फिर हरीश्चंद्र ने श्मशानघाट पर काम किया। उनके बेटे को सर्प ने काट लिया। वहां भी उन्हें सत्य की परीक्षा देनी पड़ी। सत्यवादिता के चलते उनका बेटा भी भगवान की कृपा से जीवित हो गया। विश्वामित्र ने सारा राजपाट वापस कर दिया। राजा हरिश्चंद्र का काशी में बिकना ,विश्वामित्र ,हरिश्चंद्र संवाद हरिश्चंद्र का अपनी पत्‍‌नी और पुत्र से संवाद सहित कई अन्य संवाद जहां दर्शकों की आंखों में आंसू लाते हैं वहीं हरिश्चंद्र के बाग के माली का प्रकरण और विश्वामित्र तथा गणिकाओं का संवाद दर्शकों के चेहरों पर मुस्कान भी लाता है। पारंपरिक वाद्य यंत्र इस नौटंकी की मौलिकता में चार चांद लगा रहे थे। इस अवसर पर ब्रिगेडियर ए.एस. चौहान, मान सिंह तोमर, सुनीता चौहान, प्रदीप भटनागर सहित काफी संख्या में दर्शक उपस्थित रहे।

 

Anveshi India Bureau

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