Saturday, December 20, 2025
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Magh Mela Prayagraj : खाक चौक की परंपरा और मर्यादा पर फिर खींचतान, भूमि पूजन के साथ विवाद अस्थायी रूप से शांत

माघ मेला क्षेत्र में खाक चौक की बसावट को लेकर उपजा विवाद रविवार को संतों और मेला प्रशासन की लंबी बातचीत के बाद शांत हुआ। खाक चौक व्यवस्था समिति के प्रधानमंत्री जगदगुरू संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा ने दोपहर बाद मंत्रोच्चार के बीच अपने पारंपरिक शिविर स्थल पर भूमि पूजन किया।

माघ मेला क्षेत्र में खाक चौक की बसावट को लेकर उपजा विवाद रविवार को संतों और मेला प्रशासन की लंबी बातचीत के बाद शांत हुआ। खाक चौक व्यवस्था समिति के प्रधानमंत्री जगदगुरू संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा ने दोपहर बाद मंत्रोच्चार के बीच अपने पारंपरिक शिविर स्थल पर भूमि पूजन किया। भूमि पूजन के साथ यह संकेत मिला कि धार्मिक परंपरा को निभाते हुए अब खाक चौक के साधु-संतों के लिए भूमि आवंटन का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। प्रशासन के अनुसार सोमवार से शिविरों के लिए जमीन आवंटन प्रारंभ कर दिया जाएगा।

माघ मेला में खाक चौक का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां साधु-संत पारंपरिक तप, साधना और प्रवचन की व्यवस्था करते आए हैं। मेला क्षेत्र बदलते भूगोल, गंगा की धारा और हर वर्ष होने वाले कटान के कारण प्रभावित होता रहा है, लेकिन खाक चौक की बसावट सदैव धार्मिक मर्यादा को ध्यान में रखकर निर्धारित की जाती रही है।

 

tradition and decorum of Khak Chowk are once again in turmoil, with the groundbreaking ceremony temporarily

दलदल वाली भूमि को लेकर पैदा हुई संतों की नाराजगी

सतुआ बाबा ने मेला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए नाराजगी जताई कि साधु-संतों को दूर और दलदल वाली भूमि दी जा रही है, जबकि सामाजिक संस्थाओं को अपेक्षाकृत ऊंची और सुरक्षित जमीनें आवंटित होती रही हैं। उनका कहना है कि धार्मिक परंपरा को बनाए रखने के लिए संतों की बसावट ऐसी जगह होनी चाहिए जहां उनके प्रवचन, भंडारा और साधना में कोई बाधा न आए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मेला प्रशासन साधु-संतों को दलदल में जमीन देना चाहता है। ऐसा हम होने नहीं देंगे। आवश्यकता पड़ी तो मुख्यमंत्री को भी साधु-संतों की पीड़ा से अवगत कराएंगे।

tradition and decorum of Khak Chowk are once again in turmoil, with the groundbreaking ceremony temporarily

हर वर्ष दोहराता विवाद – आस्था बनाम व्यवस्था

सतुआ बाबा और मेला प्रशासन के बीच यह विवाद नया नहीं है। भूमि आवंटन को लेकर पहले से ही खींचतान होती आई है। हर बार की तरह इस बार भी संवाद के बाद समाधान निकल पाया। हालांकि संतों का आरोप है कि उन्हें मिलने वाली जमीन का बड़ा हिस्सा दलदली है, जिससे शिविर लगाने में कठिनाई आती है। इस बार 300 बीघा भूमि की मांग ने विवाद और बढ़ा दिया, जबकि मेला प्रशासन कुल 185- 200 बीघा में 275-300 संस्थाओं की व्यवस्था करता रहा है।

भूमि पूजन ने दी धार्मिक शांति का संदेश

हालांकि विवाद अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, लेकिन भूमि पूजन के बाद वातावरण में धार्मिक शांति और मेला तैयारियों की गति पुनः सामान्य दिखाई दी। खाक चौक के साधु-संतों, मेला अधिकारी ऋषिराज, अपर मेलाधिकारी दयानंद प्रसाद व अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में संपन्न भूमि पूजन से यह संकेत मिला कि माघ मेला की परंपरा, आस्था और संतों की तप-परंपरा को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि अंतिम आवंटन के बाद संतों की चिंताओं का कितना समाधान होता है और माघ मेला अपनी गरिमा और पवित्रता के साथ सुचारु रूप से संपन्न होता है।

महावीर मार्ग होते मनसैता तक खाक चौक को जमीन दिए जाने पर सहमति बन गई है। सतुआ बाबा ने विधिवत भूमि पूजन भी कर लिया है। – ऋषिराज, मेला अधिकारी

 

 

 

Courtsyamarujala.com

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