पीड़िता ने दुष्कर्म और अश्लील वीडियो बनाने का आरोप लगा एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को नवंबर 2023 में जेल भेज दिया था। आरोपी ने सत्र न्यायालय में जमानत की गुहार लगाई थी, जिसे सत्र न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महिलाओं के अश्लील वीडियो को वायरल करने के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। साथ ही इसे समाज के लिए खतरा बताया है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अजय भनोट की अदालत ने बुलंदशहर के थाना क्षेत्र खुर्जा नगर के दुष्कर्म और पॉक्सो के आरोपी की जमानत अर्जी नामंजूर करते हुए दिया है। इसके लिए साइबर अपराधों से जुड़े मामलाें की जांच में बरती जा रही शिथिलता और गुणवत्ताहीन विवेचना को जिम्मेदार है।
पीड़िता ने दुष्कर्म और अश्लील वीडियो बनाने का आरोप लगा एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को नवंबर 2023 में जेल भेज दिया था। आरोपी ने सत्र न्यायालय में जमानत की गुहार लगाई थी, जिसे सत्र न्यायालय ने खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। कहा, साइबर अपराध से जुड़े मामलों में पुलिस की ओर से हो रही गुणवत्ता विहीन विवेचना के कारण अपराधों पर लगाम नहीं लगाई जा पा रही है।
कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को साइबर अपराध से जुड़े मामलों की प्रभावी विवेचना के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को इस मामले का निस्तारण एक माह के भीतर करने का भी निर्देश दिया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बुलंदशहर को निर्देश दिया कि वह ट्रायल कोर्ट से जारी वारंट/समन की तामील के निष्पादन की स्थिति के बारे में ट्रायल कोर्ट के समक्ष हलफनामा दाखिल करें।
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