प्रयागराज की इलाहाबाद और फूलपुर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा होने के बाद ही तमाम नेताओं में खींचतान बढ़ गई थी। संगठन सर्वोपरि का दावा करने वाली भाजपा में इस बार जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का भी आरोप लगा।
इलाहाबाद सीट पर मिली हार के कारणों की समीक्षा में भाजपा जुट गई है। इस सीट पर हार की वजह भितरघात मानी जा रही है। इस मामले में पार्टी के कई दिग्गजों की भूमिका की शिकायत पार्टी हाईकमान से की जाएगी। 25 मई को हुए मतदान के बाद ही चुनाव प्रभावित करने वाले कुछ दिग्गजों के नाम भाजपा प्रत्याशी नीरज त्रिपाठी ने हाईकमान तक पहुंचा भी दिए हैं। उधर फूलपुर लोकसभा भाजपा भले ही किसी तरह जीत गई हो लेकिन वहां भी भितरघात के आरोप पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर लगे हैं।
प्रयागराज की इलाहाबाद और फूलपुर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा होने के बाद ही तमाम नेताओं में खींचतान बढ़ गई थी। संगठन सर्वोपरि का दावा करने वाली भाजपा में इस बार जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का भी आरोप लगा।
दोनों ही सीट से काफी संख्या में टिकट के लिए लोगों ने आवेदन किया, लेकिन पार्टी नेतृत्व में निवर्तमान सांसद डा. रीता बहुगुणा जोशी एवं केशरी देवी पटेल का टिकट काटकर इलाहाबाद और फूलपुर लोकसभा से क्रमश: नीरज त्रिपाठी और प्रवीण पटेल पर भरोसा जताया। इसके बाद से ही टिकट न मिलने की नाराजगी तमाम नेताओं ने दिखाई। हालांकि किसी ने सीधे विरोध नहीं किया, लेकिन पर्दे के पीछे से उन नेताओं के भितरघात की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा रहा।
दोनों ही लोकसभा में प्रचार एवं रणनीति बनाने का भी काम पटरी से उतरा नजर आया। भाजपा संगठन की बात करें तो यमुनापार एवं महानगर के पदाधिकारियों ने बैठकें तो बहुत की, लेकिन मतदान के दिन आलम ये था कि यमुनापार के तमाम बूथों पर से भाजपा के बस्ते तक भी दिखाई नहीं दिए। यही हाल शहर के कुछ मुस्लिम बूथों के बाहर दिखा। वहां भी भाजपा के बस्ते नहीं दिखाई दिए।
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