Monday, December 30, 2024
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Prayagraj : नहीं रहे जिले के एकमात्र स्वतंत्रता सेनानी मकसूद उल्ला, फ्रीडम फाइटर को भी नहीं मिली एंबुलेंस

मकसूद उल्ला 96 वर्ष की उम्र में भी काफी स्वस्थ थे। नियमित टहलना उनकी दिनचर्या में शामिल था। खाना को लेकर भी बहुत परहेज नहीं था। गणतंत्र दिवस या अन्य किसी काम से जब भी वे कलेक्ट्रेट आए सहारे की जरूरत नहीं हुई।

जिले के एकमात्र स्वतंत्रता सेनानी सदर तहसील के अहमदपुर पावन गांव के मकसूद उल्ला का शनिवार को इंतकाल हो गया। वह 96 वर्ष के थे। शुक्रवार देर रात तेज बुखार आने के बाद उन्हें स्वरूपरानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बचाया नहीं जा सका तथा दिन में दो बजे उनका निधन हो गया और इसी के साथ प्रयागराज की धरती स्वतंत्रता आंदोलन के रणबांकुरों से खाली हो गई। रविवार को सुबह नौ बजे राजकीय सम्मान के साथ गांव के ही कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्दे खाक किया जाएगा।

मकसूद उल्ला 96 वर्ष की उम्र में भी काफी स्वस्थ थे। नियमित टहलना उनकी दिनचर्या में शामिल था। खाना को लेकर भी बहुत परहेज नहीं था। गणतंत्र दिवस या अन्य किसी काम से जब भी वे कलेक्ट्रेट आए सहारे की जरूरत नहीं हुई। उनके पुत्र मोहज्जम मकसूद ने बताया कि दो दिन पहले तक उनकी यह दिनचर्या जारी रही, लेकिन शुक्रवार को अचानक बुखार हो गया।

रात में उन्हें तेज बुखार हो गया, जिसके बाद पहले काॅल्विन अस्पताल ले जाया गया है। वहां के डॉक्टरों की सलाह पर स्वरूपरानी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन दिन में दो बजे इंतकाल हो गया। इसके बाद परिवार वाले मृतक शरीर को गांव लेते गए। मोहज्जम मकसूद ने बताया कि गांव के ही कब्रगाह में रविवार को सुपुर्दे खाक किया जाएगा।

मकसूद उल्ला के निधन की सूचना के बाद प्रशासन की तरफ से एसडीएम सदर अभिषेक सिंह घर पहुंचे। एसडीएम सदर ने बताया कि राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा। इसके तहत तिरंगा सौंपने के साथ सलामी भी दी जाएगी। मकसूद उल्ला के निधन की सूचना के बाद उनके आवास पर गांव के काफी लोग पहुंच गए थे।

अस्पताल ले जाने के लिए नहीं मिली एंबुलेंस

सरकारी व्यवस्था किस तरह लापरवाह और संवेदनहीन हो गई है इसका नमूना शनिवार को एक बार फिर देखने को मिला। जिले में बचे आखिरी स्वतंत्रता सेनानी मकसूद उल्ला को भी कॉल्विन से स्वरूपरानी अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली। अंत में प्राइवेट गाड़ी से ले जाया गया।

मकसूद उल्ला के पुत्र मोहज्जम मकसूद ने बताया कि तबीयत बिगड़ने पर वे लोग पहले कॉल्विन अस्पताल गए थे लेकिन वहां के डॉक्टरों ने स्वरूपरानी अस्पताल ले जाने के लिए कहा। इसके लिए एंबुलेंस को बुलाया गया। चिकित्सकों ने भी कई बार फोन किया, लेकिन जल्द एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो पाई।

ऐसे में प्राइवेट गाड़ी से स्वरूपरानी ले गए। उनके निधन के बाद भी पार्थिव शरीर प्राइवेट गाड़ी से ही घर ले गए। मोहज्जम ने बताया कि मकसूद उल्ला को इमरजेंसी में भर्ती किया गया था। उन्हें प्राइवेट वार्ड में भर्ती कराने के लिए उन्होंने सुबह डीएम से मुलाकात की। डीएम ने प्राइवेट वार्ड में भर्ती के लिए लिखकर भी दे दिया था, लेकिन इससे पहले ही इंतकाल हो गया।

 

Courtsyamarujala.com

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