Friday, November 22, 2024
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Prayagraj : चौबीस घंटे AK-47 के सुरक्षा घेरे में होगी आजाद की कोल्ट पिस्तौल, CISF के 10 जवानों की होगी तैनाती

आजाद की पिस्तौल की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ के 10 जवानों की तैनाती होगी। इसमें चार जवान पिस्टल के ईर्द-गिर्द रहेंगे। बाकी चार जवानों को गैलरी के गेट पर तैनात किया जाएगा। जब किसी कारणवश इस प्वाइंट के जवान को कुछ देर के लिए हटना होगा तो, आरक्षित श्रेणी में रहने वाले दो जवान वहां लगा दिए जाएंगे।

अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की अमेरिकी कोल्ट पिस्तौल जल्द ही बूलेट प्रूफ शो केस में इलाहाबाद संग्रहालय की कला दीर्घा की शोभा बढ़ाएगी। अब यह पिस्तौल 24 घंटे एके-47 से लैस सीआईएसएफ के जवानों की सुरक्षा निगरानी में रहेगी। इसके लिए अभेद्य सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं।

आजाद की पिस्तौल की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ के 10 जवानों की तैनाती होगी। इसमें चार जवान पिस्टल के ईर्द-गिर्द रहेंगे। बाकी चार जवानों को गैलरी के गेट पर तैनात किया जाएगा। जब किसी कारणवश इस प्वाइंट के जवान को कुछ देर के लिए हटना होगा तो, आरक्षित श्रेणी में रहने वाले दो जवान वहां लगा दिए जाएंगे। पिस्तौल के आसपास का हर कोना एचडी कैमरे की नजर में होगा। आजाद गैलरी में जहां पिस्टल रखी जाएगी, वहां इन जवानों की तैनाती 24 घंटे रहेगी। इसके लिए शिफ्टवाइज ड्यूटी लगाई जाएगी। एक सेकेंड के लिए भी पिस्तौल को खाली नहीं छोड़ा जाएगा। जवानों के रहने की भी व्यवस्था संग्रहालय में ही की जाएगी। संग्रहालय में आने वाले लोग भी आजाद की असली पिस्तौल देख सकें, फिलहाल इसके लिए शासन से आदेश आने का इंतजार है।

खास थी आजाद की पिस्तौल: आजाद की यह पिस्टल अमेरिकन फायर आर्म्स बनाने वाली कोल्ट्स मेन्युफैक्चरिंग कंपनी ने 1903 में बनाई थी। यह कंपनी अब कोल्ट पेटेंट फायर आर्म्स मैन्युफैक्चरिंग के नाम से जानी जाती है। प्वाइंट 32 एसीपी (ऑटो कोल्ट पिस्टल) एक हैमरलैस सेमी ऑटोमेटिक पिस्तौल है। इसकी मैगजीन में आठ गोलियां आती हैं।

पिस्तौल का इतिहास: आजाद की पिस्तौल से फायरिंग करने के बाद धुआं नहीं निकलता था। यह किस्सा 27 फरवरी 1931 का है। ब्रिटिश पुलिस ने अल्फ्रेड पार्क (अब आजाद पार्क) में आजाद को चारों ओर से घेर लिया था। आजाद के हाथ में यही पिस्तौल थी। इस पिस्तौल ने न जाने कितने ब्रिटिशों को मार गिराया था। आखिरी में आजाद ने भी इसी पिस्तौल से खुद को गोली मार शहीद हो गए। आजाद अपनी पिस्तौल को बमतुल बुखारा कहते थे।

संग्रहालय का मुख्य आकर्षण है कोल्ट पिस्तौल
इलाहाबाद संग्रहालय में जब कोई घूमने आता है तो सबसे पहले आजाद की पिस्तौल को ढ़ूंढता है। ऐसे में 70 से 80 फीसदी लोग इस पिस्तौल को ही देखने आते हैं। इसके बाद ही संग्रहालय का भ्रमण करते हैं।

आजाद गैलरी में आजाद की पिस्तौल की प्रतिकृति रखी गई है। इसे जल्द ही राज्यपाल से आदेश आने के बाद सीआईएसएफ के जवानों, बुलेटप्रूफ और सीसीटीवी कैमरे की नजर में कैद होगा। – डॉ. राजेश कुमार मिश्र, मीडिया प्रभारी, इलाहाबाद संग्रहालय।

Courtsy amarujala.com
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