Tuesday, July 8, 2025
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हाईकोर्ट की टिप्पणी : नौ साल के वैवाहिक जीवन में बिगड़े रिश्ते की वजह दहेज नहीं, दहेज उत्पीड़न का मुकदमा रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सास-ससुर को विदेश यात्रा कराने वाले दामाद के खिलाफ दर्ज दहेज की मांग का मुकदमा सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कल्पना की किसी भी सीमा तक विचार किया जाए तो भी यह मामला दहेज उत्पीड़न की मनगढ़ंत कहानी के अलावा कुछ नहीं है।

यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की अदालत ने सुल्तानपुर निवासी नवीन कुमार वर्मा और उनके माता-पिता के खिलाफ दर्ज दहेज उत्पीड़न के मुकदमे को रद्द करते हुए की। ट्रायल कोर्ट ने आरोप पत्र का संज्ञान लेकर सभी को बतौर आरोपी तलब किया था। इसके खिलाफ आरोपी ससुरालीजनों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
मामला प्रयागराज जिले के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र का है। नवीन और किरन की शादी 2007 में हुई थी। इसके बाद दोनों अमेरिका चले गए। वहीं उन्हें दो बच्चे भी हुए। 2014 में दोनों भारत आए और नोएडा में संयुक्त नाम से दो फ्लैट खरीद कर वहीं रहने लगे। नवीन के माता-पिता भी वहीं चले गए।
इसी दौरान नवीन की पुरानी महिला मित्र से मोबाइल पर बातचीत शुरू हो गई। आपत्ति करने पर भी नवीन नहीं माना तो पत्नी दो बच्चों संग प्रयागराज स्थित मायके आ गई। 2017 में किरन ने पति नवीन, उनके पिता इंद्रदेव वर्मा, मां अनारकली व पति की महिला मित्र के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया। कहा कि पति दहेज में एसयूवी कार की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा जिला अदालत में भरण पोषण का मुकदमा भी दायर किया था। बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत नवीन अभी लखनऊ में तैनात हैं। 

पति के वकील ने दी दलील… सास-ससुर को कराई अमेरिका की सैर

याची के अधिवक्ता संजय कुमार दुबे ने दलील दी कि अमेरिका में रहने के दौरान नवीन ने खुद के खर्चे पर किरन के माता-पिता को अमेरिका की सैर कराई। जिला अदालत के आदेश पर पत्नी और बच्चों के भरण पोषण के मद में 50 हजार रुपये प्रतिमाह की दर से अब तक करीब 45 लाख रुपये अदा किए जा चुके हैं। प्रथम दृष्टया विवाद महिला मित्र को लेकर उपजे संदेह का है। दहेज में एसयूवी की मांग का आरोप बेबुनियाद और कोरी कल्पना है।

पत्नी के वकील बोले… महिला मित्र के उकसाने पर मांगा दहेज

पत्नी के वकील ने कोर्ट में कहा कि यह सच है अमेरिका में दोनों करीब सात साल साथ रहे। उसके बाद भारत आ कर नोएडा में रहने लगे। इस दौरान कॉलेज के समय की महिला मित्र से पति की बातचीत शुरू हो गई। मना करने पर माने नहीं। महिला मित्र के उकसाने पर पति और उसके घर के लोग दहेज की मांग को लेकर प्रताड़ित करने लगे।

कोर्ट ने माना कि नौ साल बाद दामाद नहीं मांग सकता दहेज

कोर्ट ने माना कि अमेरिका में नौकरी करते हुए सास-ससुर को विदेश की सैर करने वाला दामाद नौ साल बाद दहेज की मांग नहीं कर सकता। मौजूदा कहानी को पचा पाना बेहद कठिन है। कहा, पति-पत्नी दोनों शिक्षित हैं। उनकी सामाजिक स्थिति बेहतर रही है। दो बच्चों के साथ नौ साल के विवाहित जीवन में बिगड़े रिश्ते का कोई अन्य कारण हो सकता है लेकिन दहेज की मांग नहीं हो सकती है। रही बात सास-ससुर की तो एफआईआर के तथ्यों से प्रतीत होता है कि अलग रह रही किरन सास-ससुर से केवल इस बात पर नाराज है कि महिला मित्र की शिकायत करने पर उन्हाेंने पति को कुछ कहने के बजाय उसे ही सॉरी बोलने को कहा था। लिहाजा, कोर्ट ने पति और उसके माता-पिता के खिलाफ दर्ज मुकदमे को रद्द कर दिया।
Courtsy amarujala.com
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