कोर्ट ने कहा आरोप लगाने वाली पीड़िता विवाहित महिला है और उसके दो बड़े बच्चे थे। उसका पति भी जीवित था। उसने अपने पति की गंभीर बीमारी के कारण आवेदक के प्रति आकर्षित हो गई। लंबे समय तक वह आवेदक के साथ संबंध में रही।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में दुष्कर्म और जबरन वसूली के आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी। कहा कि 12 साल से अधिक समय तक सहमति से चलने वाले संबंध को केवल शादी करने के वादे के उल्लंघन के आधार पर दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने दुष्कर्म व जबरन वसूली की धाराओं में दर्ज मुकदमे की पूरी कार्यवाही की रद्द कर दी। न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने यह निर्णय श्रेय गुप्ता की याचिका पर दिया है।
कोर्ट ने कहा आरोप लगाने वाली पीड़िता विवाहित महिला है और उसके दो बड़े बच्चे थे। उसका पति भी जीवित था। उसने अपने पति की गंभीर बीमारी के कारण आवेदक के प्रति आकर्षित हो गई। लंबे समय तक वह आवेदक के साथ संबंध में रही। जबकि, उसे पता था कि पति के रहते वह आवेदक से शादी नहीं कर सकती। पीड़िता का यह आरोप कि आवेदक ने उसके पति की मृत्यु के बाद उससे शादी का वादा कर संबंध बनाया था। यह बेकार का बहाना है। कानून की नजर में यह कोई वादा नहीं था। पीड़िता परिपक्व महिला है और उसने जानबूझकर इस तरह के रिश्ते में प्रवेश किया।
यह था मामला
मुरादाबाद के महिला थाना में पीड़िता ने 2018 में श्रेय गुप्ता पर दुष्कर्म व जबरन वसूली की धारा में मुकदमा दर्ज कराया था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि आवेदक ने उसके पति के गंभीर रूप से बीमार होने के दौरान उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया और पति की मृत्यु के बाद उससे शादी का वादा किया था। पीड़िता के अनुसार पति के गुजर जाने के बाद भी यह रिश्ता जारी रहा। बाद में याची ने 2017 में दूसरी महिला से सगाई कर ली। ट्रायल कोर्ट ने चार्जशीट का संज्ञान लेते हुए समन आदेश जारी किया था। इसे आवेदक ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। दाखिल आरोप पत्र को रद्द करने की मांग की थी।
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