मठों, मंदिरों में भी पूजन संग दीपों और झालरों से जमकर सजावट की गई। प्रतिष्ठानों, दुकानों, गोदामों के अलावा पार्क, चौराहों और दफ्तरों में बिजली की झालरों पर जोर रहा तो घरों में दीयों के साथ मोमबत्तियां भी जलाई गईं।
आसमान से रोशनी का पर्व दीपावली हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बृहस्पतिवार की रात रोशनी से नहा उठी। भवनों की जगमगाहट मन-मस्तिष्क को भी रोशन कर रही थी। रात होते ही सतरंगी आतिशबाजी से आसमान जगमगा उठा। धमाकों की आवाज खुशी और उल्लास को बयां कर रही थी।
मठों, मंदिरों में भी पूजन संग दीपों और झालरों से जमकर सजावट की गई। प्रतिष्ठानों, दुकानों, गोदामों के अलावा पार्क, चौराहों और दफ्तरों में बिजली की झालरों पर जोर रहा तो घरों में दीयों के साथ मोमबत्तियां भी जलाई गईं। पूजास्थल पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा कर आरती उतारी गई।
दीपों की रोशनी के बाद बच्चों की आतिशबाजी का दौर शुरू हुआ। बड़ों की अंगुलियां थामे बच्चे बाहर खुली जगह या पार्क में इकट्ठा हुए। शुरुआत फुलझड़ियों से हुई, फिर अनारों और तेज आवाज वाले बम, पटाखे देर रात तक बजते रहे।