भूमि आवंटन पर अखाड़ों के संतों की रणनीति सोमवार को तय होगी। मेला प्रशासन पिछले कुंभ-2019 की तहत भूमि सुविधाएं अखाड़ों को देने की बात कह रहा है, वहीं संतों का कहना है कि महांडलेश्वरों, महंतों और नए खालसों की संख्या में इजाफा होने की वजह से उन्हें 25 फीसदी भूमि-सुविधाएं बढ़ाकर दी जानी चाहिए।
महाकुंभ में भूमि आवंटन को लेकर साधु-संतों की रविवार शाम होने वाली बैठक अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के विलंब से आने की वजह से स्थगित करनी पड़ी। अब बैठक सोमवार को सुबह 11 बजे से कीडगंज स्थित बड़ा उदासीन अखाड़ा में शुरू हो गई है।
भूमि आवंटन पर अखाड़ों के संतों की रणनीति सोमवार को तय होगी। मेला प्रशासन पिछले कुंभ-2019 की तहत भूमि सुविधाएं अखाड़ों को देने की बात कह रहा है, वहीं संतों का कहना है कि महांडलेश्वरों, महंतों और नए खालसों की संख्या में इजाफा होने की वजह से उन्हें 25 फीसदी भूमि-सुविधाएं बढ़ाकर दी जानी चाहिए।
ऐसा नहीं हुआ तो वह अपने अखाड़ों में ही छावनी लगाकर महाकुंभ कर लेंगे। इस मसले पर रविवार शाम को उदासीन अखाड़े में होने वाली बैठक अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी के विलंब से प्रयागराज पहुंचने से टाल दी गई।
अब अखाड़ा परिषद की ओर से सोमवार को बैठक बड़ा उदासीन अखाड़े में होगी। बैठक में हिस्सा लेने के लिए अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि, दूधेश्वर नाथ महादेव के पीठाधीश्वर और जूना अखाड़ा के प्रवक्ता नारायण गिरि, जूना अखाड़े के अध्यक्ष महंत प्रेम पुरी भी संगमनगरी पहुंच रहे हैं। मेला प्रशासन ने सोमवार से अखाड़ों को भूमि आवंटन के लिए पत्र भेजा है, लेकिन भूमि सुविधाओं में बढ़ोतरी का प्रस्ताव न मानने से संत नाराज हैं।
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