महंत दिनेंद्र दास शुक्रवार को निरंजनी अखाड़े के महंत रवींद्र पुरी की अगुवाई वाली अखाड़ा परिषद को दिए समर्थन पत्र से मुकर गए। उनका कहना है कि रवींद्र पुरी और हरि गिरि के पक्ष में जारी किया गया समर्थन पत्र उनसे धोखे में लिखवाया गया था। उन्होंने उस समर्थन पत्र को निरस्त कर नए सिरे से निर्मोही अखाड़े के सचिव राजेंद्र दास के नेतृत्व में ही महाकुंभ कराने की घोषणा कर दी है।
महाकुंभ से पहले साधु-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद दोनों धड़ों में वर्चस्व को लेकर विवाद गहरा गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और अखिल भारतीय श्रीपंच रामानंदीय निर्मोही अखाड़े (अयोध्या बैठक) के महंत दिनेंद्र दास शुक्रवार को निरंजनी अखाड़े के महंत रवींद्र पुरी की अगुवाई वाली अखाड़ा परिषद को दिए समर्थन पत्र से मुकर गए।
उनका कहना है कि रवींद्र पुरी और हरि गिरि के पक्ष में जारी किया गया समर्थन पत्र उनसे धोखे में लिखवाया गया था। उन्होंने उस समर्थन पत्र को निरस्त कर नए सिरे से निर्मोही अखाड़े के सचिव राजेंद्र दास के नेतृत्व में ही महाकुंभ कराने की घोषणा कर दी है।
इससे अखाड़ा परिषद को लेकर स्थिति असहज हो गई है। अखिल भारतीय श्रीपंच रामानंदीय निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास ने अखाड़ा परिषद को अपने अखाड़े की ओर से दिए समर्थन से पलटी मार दी है। महाकुंभ की तैयारी के लिए छह दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हुई अखाड़ा परिषद की बैठक के दौरान महंत रवींद्र पुरी (निरंजनी) और महंत हरि गिरि (जूना) के नेतृत्व में उन्होंने विश्वास व्यक्त किया था।
साथ इन दोनों संतों के नेतृत्व वाली अखाड़ा परिषद को ही सही ठहराते उसे अपना पूर्ण रूपेण समर्थन करने का एलान किया था। इतना ही नहीं महाकुंभ की बैठकों के लिए उन्होंने खुद अपना नाम भी प्रस्तावित किया था। लेकिन, छह दिन बाद ही उन्होंने दूसरा समर्थन पत्र जारी कर चौंका दिया है। शुक्रवार को जारी समर्थन पत्र में महंत दिनेंद्र दास ने कहा कि महंत राजेंद्र दास (जगन्नाथ मंदिर अहमदाबाद) अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अखाड़ा के अध्यक्ष और अखाड़ा परिषद के महामंत्री हैं।
महाकुंभ मेला महंत राजेंद्र दास की ही देखरेख में होगा। इनके नेतृत्व में ही महाकुंभ की बैठकों का निष्पादन और अन्य कार्य होंगे। मैं इनका पूर्ण समर्थन करता हूं और पूर्व में दिए गए समर्थन पत्र को निरस्त कर चुका हूं।
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