पाैराणिक मान्यता है कि मोक्ष के लिए अक्षयवट वृक्ष से लोग छलांग लगा देते थे। इस कारण अकबर ने इसे बंद करा दिया था। लंबे समय तक सेना के कब्जे में रहने के बाद अब महाकुंभ-2025 में यह श्रद्धालुओं के लिए खुल सकेगा।
अकबर के किला परिसर में तीन मंदिरों को मिलाकर बनाया जा रहा अक्षयवट काॅरिडोर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होगा। पाैराणिक मान्यता है कि मोक्ष के लिए अक्षयवट वृक्ष से लोग छलांग लगा देते थे। इस कारण अकबर ने इसे बंद करा दिया था। लंबे समय तक सेना के कब्जे में रहने के बाद अब महाकुंभ-2025 में यह श्रद्धालुओं के लिए खुल सकेगा। एक बार फिर यह कॉरिडोर न सिर्फ दुनिया को मोक्ष का अक्षय मंत्र बताएगा, बल्कि प्राचीन और धार्मिक इतिहास का भी दर्शन कराएगा।
संगम के तट पर प्राचीन किले में कैद अक्षयवट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद आमजन के लिए खोलने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद राज्य सरकार के सहयोग से अक्टूबर 2023 में अक्षयवट काॅरिडोर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। निर्माण के लिए राजस्थान के ढोलपुर से खास पत्थर मंगाए गए हैं। वहीं मकराना का मारबल भी इसकी खूबसूरती को चार चांद लगाएगा।
अक्षयवट प्रोजेक्ट के इंजीनियर इंचार्ज (आईईएस) अभिनव कुमार सिंह का कहना है कि कॉरिडोर को 20 नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। अक्षयवट कॉरिडोर के तहत सरस्वती कूप भी है, जहां सरस्वती का वास माना गया है। इसके चारों ओर फाउंटेन लगाए जा रहे हैं।