हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज भारत के गौरव और देशभक्ति का प्रतीक है। यह देश के लोगों की आशा और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि वह राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान की रक्षा करे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वाले समाज के लिए खतरनाक होते हैं, वे सहानुभूति के लायक नहीं। इस टिप्पणी संग कोर्ट ने सोशल मीडिया पर देश विरोधी और भड़काऊ पोस्ट साझा करने के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने वशिक त्यागी की जमानत अर्जी पर दिया।
मुजफ्फरनगर निवासी वशिक पर 16 मई 2025 को चरथावल थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। आरोप था कि उसने फेसबुक पर एक पोस्ट किया था। उसमें पाकिस्तान का समर्थन व देश के विरोध में लिखा था। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को अपमानित करने वाला एक फोटो भी पोस्ट किया था। पुलिस ने आरोपी को सात जून 2025 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोपी ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज भारत के गौरव और देशभक्ति का प्रतीक है। यह देश के लोगों की आशा और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि वह राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान की रक्षा करे।