Thursday, October 23, 2025
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खेती के साथ-साथ रेशम कीट पालन बनी किसानों की आय का श्रोत

रेशम एक जैविक एवं प्राकृतिक कृषि आधारित उत्पाद है। रेशम उत्पादन का कार्य तकनीकी प्रकृति का होता है। जिसके लिए उत्पादकों कृषकों को जागरूक किया जाना जरूरी होता है। इसके उत्पादन के लिए प्रदेश में जनसामान्य, कृषकों तक पहुँचाने एवं आय का लोकप्रिय श्रोत बनाने के लिए विभिन्न प्रकार से जागरूकता लाई जा रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में गत 10 वर्षों में उत्तर प्रदेश में रेशम निर्यात में 28 गुना की बढ़ोत्तरी हुई है, जो अन्य सेक्टर के मुकाबले सर्वाधिक है। प्रदेश में रेशम उत्पादन की अपार सम्भावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए रेशम उत्पादन की वृद्धि हेतु लगातार प्रयत्न किये जा रहे है। रेशम उत्पादन के लिए शहतूत के वृक्षों का रोपण करने के लिए किसानों को सहायता दी जा रही है। कृषि के साथ-साथ रेशम उत्पादन कर कृषक अपनी आय में वृद्धि कर रहे है।

प्रदेश में केन्द्र एवं राज्य पोषित संचालित योजनाओं से लाभ प्राप्त करने वाले लाभार्थियों के लिये पारदर्शी सुविधा उपलब्ध कराने हेतु ‘‘रेशम मित्र पोर्टल’’ पर ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा लागू है, जिस पर इच्छुक लाभार्थी पंजीकरण कराते हुए विभाग की योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। रेशम निदेशालय, उ०प्र० में Soil to Silk के प्रदर्शन एवं शुद्ध सिल्क की पहचान हेतु सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स (Center of Excellence) का निर्माण कार्य प्रगति पर है।

एफ०पी०ओ० के माध्यम से रेशम उत्पादन कार्यक्रम को बढ़ावा प्रदान करने के लिए गोण्डा, बहराइच एवं फतेहपुर के एफ०पी०ओ० से त्रिपक्षीय एग्रीमेन्ट का सम्पादन किया गया है। जिसमें केन्द्रीय रेशम बोर्ड बंगलौर द्वारा रू0 371.5625 लाख केन्द्रांश सहायता अवमुक्त की गयी है। रेशम कीटपालन, (शहतूती, टसर, एरी) के वर्ष 2025-26 में निर्धारित लक्ष्य 74.25350 लाख डी०एफ०एल्स० के सापेक्ष माह अगस्त, 2025 तक 24.99450 लाख डी०एफ०एल्स० का कीटपालन किया गया है। रेशम कीटाण्ड के विकास (शहतूती, टसर, एरी) की योजनान्तर्गत चालू वर्ष में माह अगस्त, 2025 तक 60.7760 डी०एफ०एल्स० लक्ष्य के सापेक्ष 9.21825 लाख डी०एफ०एल्स० कीटाण्ड उत्पादन किया गया है।

प्रदेश में रेशम धागा उत्पादन (शहतूती, टसर, एरी) के वर्ष 2025-26 के कुल लक्ष्य 479.9366 मी० टन के सापेक्ष माह अगस्त, 2025 तक 46.4850 मी० टन रेशम धागे का उत्पादन किया गया है। प्रदेश में स्थापित रेशम फार्मों पर रेशम से संबंधित क्रियाकलापों को बढ़ावा दिये जाने हेतु 300 नयी रेशम सहकारी समितियों का गठन किया जा रहा है।

प्रदेश के मा० मुख्यमंत्री जी के कुशल मार्गदर्शन से प्रदेश में जनपद बहराइच, श्रावस्ती, लखीमपुर, सीतापुर, गोण्डा, बलरामपुर, बस्ती, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बिजनौर एवं सहारनपुर में प्रथम बार राज्य पोषित ‘‘मुख्यमंत्री रेशम विकास योजना’’ के अन्तर्गत वर्ष 2025-26 हेतु रू0 100.00 लाख बजट की स्वीकृति हुई है, जिसके अन्तर्गत प्रदेश के निजी क्षेत्र के कृषकों को वृक्षारोपण कीटपालन भवन एवं उपकरणों के क्रय हेतु अनुदान सहायता उपलब्ध करायी जा रही है।

 

 

Anveshi India Bureau

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