Thursday, September 19, 2024
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अमर क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद जी की जयंती का जश्न मनाया गया

संस्कृति विभाग, लखनऊ, उ०प्र० के तत्वाधान में प्रयागराज की नाट्य संस्था- ‘सॉफ्ट पावर आर्ट एण्ड कल्चर द्वारा अमर क्रांतिकारी श्री चन्द्रशेखर आजाद जी के जयंती के अवसर पर प्रदर्शनी एवं जुलूस निकाला गया आजाद पार्क गेट प०-1 से प्रारम्भ होकर गेट न०-3 तक समापन हुआ वहीं चन्द्रशेखर आजाद जी के जीवन गाथा पर आधारित संक्षिप्त नाट्य प्रस्तुति-“अन्दाज़े-ए-आजाद का भव्य-दिव्य मंचन हुआ. दिनांक 23 जुलाई, 2024 स्थान- चंद्रशेखर आजाद पार्क गेट नं०-३. बलिदान स्थल के नजदीक (आजाद मंच) पर मंचन प्रारम्भ हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि प्रयागराज के जिलाधिकारी श्री नवनीत सिंह चहल एवं मण्डलायुक्त -श्री विजय विश्वाश पंत जी के द्वीपप्रज्जवलन के द्वारा कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। उद्द्घोषक महोदय एवं कार्यक्रम अधिकारी श्री गुलाम सरवर, राकेश वर्मा व के०के० श्रीवास्तव द्वारा मुख्य अतिथि महोदय द्वीपप्रज्जवलन के बाद मंच पर स्वागत किया गया। इसी के तदोपरान्त संक्षिप्त नाट्य प्रस्तुति अन्दाज़े-ए-आज़ाद का मंचन प्रारम्भ किया गया एवं क्रांतिकारी कवि सम्मेलन शाम 5:00 बजे आजाद पार्क में भाव एवं दिव्या से मंचन किया गया जिसके नाट्य लेखन परिकल्पना निर्देशन-ज्ञान चन्द्रवंशी का था। नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से बाल्यपन एवं अंतिम मुखबिरी एवं बलिदान दृश्य दशार्या गया जिसका विषय इस प्रकार हैं-चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक स्थान पर हुआ था। इन्होंने अपना पूरा जीवन देश की आजादी की लड़ाई के लिए कुबार्न कर दिया। चंद्रशेखर बेहद कम्र उम्र में देश की आजादी की लड़ाई का हिस्सा बने थे। जब सन् 1922 में चौरी-चौरा की घटना के बाद गांधी जी ने अपना आंदोलन वापस ले लिया तो आजाद का कांग्रेस से मोहभंग हो गया। इसके बाद वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल और शचीन्द्रनाथ सान्याल योगेश चन्द्र चटर्जी द्वारा 1924 में गठित हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ गए।

 

इस एसोसिएशन के साथ जुड़ने के बाद चंद्रशेखर ने रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में काकोरी कांड (1925) में पहली बार सक्रिय रूप से भाग लिया। इसके बाद चंद्रशेखर ने 1928 लाहौर में ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर एस.पी सॉन्डर्स को गोलीमार लाला जालपत राय की मौत का

बदला लिया। इन सफल घटनाओं के बाद उन्होंने अंग्रेजों को खजाने को लूट कर संगठन की क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए धन जुटाना शुरू कर दिया। चंद्रशेखर का मानना था कि यह धन भारतीयों का ही है जिसे अंग्रेजों ने लूटा है।

 

अंग्रेजों से लड़ाई करने के लिए चंद्रशेखर आजाद इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में सुखदेव और अपने एक, अन्य साथियों के साथ बैठकर आगामी योजना बना रहे थे। इस बात की जानकारी अंग्रेजों को पहले से ही मिल गई थी। जिसके कारण अचानक अंग्रेज पुलिस अधिकारी जॉन नीट बावर ने उन पर हमला कर दिया। आजाद ने अपने साथियों को वहां से भगा दिया और अकेले अंग्रेजों से लोहा लने लगे। इस लड़ाई में पुलिस की गोलियों से आजाद बुरी तरह घायल हो गए थे। वे सैकड़ों पुलिस वालों के सामने 20 मिनट तक लड़ते रहे थे उन्होंने संकल्प लिया थ कि चे न कभी पकड़े जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेंगी। इसीलिए अपने संकल्प को पूरा करने के लिए अपनी पिस्तौल की आखिरी गोली खुद को मार ली और मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी।

 

आजाद ने ताउम्र अंग्रेजों के हाथों गिरफ्तार नहीं होने का अपना वादा पूरा किया। वे 27 फरवरी, 1931 के दिन अंग्रेजों के साथ लड़ते हुए अपना नाम हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज कर लिया।

 

आजाद ने जिस पिस्तौल से अपने आप को गोली मारी थी. उसे अंग्रेज अपने साथ इंग्लैंड ले गए थे, जो वहां के न्यूजियम में रखा गया था, हालांकि बाद में भारत सरकार के प्रयासों के बाद उसे भारत वापस लाया गया, अभी वह इलाहाबाद के म्यूजियम में रखा गया है। आजाद एक ऐसा शब्द है जो महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद के साथ जुड़ा है। इन्होंने अपनी पूरी जिंदगी को आजाद रखने का चुनाव किया और उसे आखिरी सांस तक निभाया भी।

इसके बाद पात्र परिचय हुआ। मंच पर सूत्रधार एवं कोरस विशेष पाण्डेय, वेदान्द धूरिया, शिवांश प्रिन्श, किशोर चंद्रशेखर-असद चंद्रशेखर, अंशू दीप, सुखदेव हर्ष पाण्डेय, मजिस्ट्रेट / वीरभद्र तिवारी श्री भूप्रेन्द सिंह, जॉन नाट बावर-अतुल यादव, गण्डा सिंह / अंग्रेज अधिकारी-धीरेन्द्र यादव, बनारस इनस्पेक्टर चंद्रजीत यादव, कोरस / सिपाही अमन चौधरी आदि ने इमानदारी के साथ अपनी भूमिका के साथ न्याय किया। जोकि नाट्य लेखन, परिकल्पना, निर्देशन-ज्ञान चंद्रवशी का था। उ‌द्घोषक महोदय श्री के० के० श्रीवास्तव सहयोग सहयोग श्री गुलाम सरवर (कार्यक्रम अधिकारी) श्री राकेश वर्मा, विशेष सहयोग वरीष्ठ रंगकर्मी (एस.एन.ए. अवाडी) श्री अतुल यदुवंशी जी का था। इसके बाद मुख्य अतिथि महोदय को मंच पर स्वागत किया गया उन्होंने भूरि भूरि प्रशंसा किये और चंद्रशेखर आजाद के बारे में बताने का प्रयास किया इसके बाद सरकृति विभाग के अन्य अधिकारी महोदय ने धन्यवाद ज्ञापन किया और सफलतापूर्वक कार्यक्रम का समापन हुआ।

Anveshi India Bureau

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