Tuesday, July 8, 2025
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अम्बिका प्रसाद दिव्य एवं किंजल्क स्मृति सम्मान समारोह का भव्य आयोजन प्रयागराज में हुआ संपन्न

प्रयागराज दूरदर्शन के डायरेक्टर श्याम विद्यार्थी जी की अध्यक्षता में इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन में अम्बिका प्रसाद एवं किंजल्क की स्मृति सम्मान समिति की ओर से सम्मान समारोह सम्पन्न किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी नित्यानंद, विशिष्ट अतिथि के रूप में स्वामी प्रेमानंद गिरी (पठानकोट), वक्ता के रूप में आचार्य संजीव वर्मा सलिल (जबलपुर), एवं डॉ प्रदीप चित्रांशी प्रयागराज एवं वरिष्ठ साहित्यकार विमला व्यास प्रयागराज ने समीक्षक के तौर पर कार्यक्रम में शिरकत की। कार्यक्रम तीन सत्रों में संपन्न हुआ जिसके प्रथम चरण में देशभर से आए सभी वरिष्ठ साहित्यकारों ने श्री अंबिका प्रसाद दिव्य और श्री जगदीश किंजल्क को याद करते हुए अपने विचार व्यक्त किये, कार्यक्रम के द्वितीय चरण में सम्मान समारोह एवं पुस्तकों का लोकार्पण किया गया तत्पश्चात अंतिम चरण में प्रयागराज के साहित्यकारों द्वारा कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ।

संस्था की संस्थापक श्रीमती विजयलक्ष्मी विभा ने बताया कि दिव्य जी के सुपुत्र जगदीश किंजल्क ने अपने पिता अम्बिका प्रसाद दिव्य की स्मृति में इस संस्था की नींव 16 मार्च 1996 में रखी थी। पिछले 25 वर्षों तक लगातार जगदीश किंजल्क जी ने इस संस्था के द्वारा सम्मान समारोह का आयोजन किया और किंजल्क के जी द्वारा स्थापित राष्ट्रीय स्तर की संस्था द्वारा अब तक 600 से अधिक साहित्यकारों के सम्मान किया जा चुका है।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में दिव्य जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की झलकियां और पटकथा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पर्दे पर दिखाई गईं। जो पूरे कार्यक्रम में आकर्षण का केन्द्र रहीं।

इसी क्रम में विजयलक्ष्मी विभा के द्वारा भाई जगदीश किंजल्क पर निकाली गई स्मारिका का लोकार्पण हुआ । के साथ – साथ अपनी दो पुस्तकों “आत्मजा” खंडकाव्य एवं “अपनी-अपनी भूल” का भी लोकार्पण कराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये इलाहाबाद दूरदर्शन के पूर्व वरिष्ठ केन्द्र निदेशक एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री श्याम विद्यार्थी ने कहा, “कि इस कार्यक्रम की अध्यक्षता का दायित्व मुझे सौंपा गया पर इस कार्यक्रम की अध्यक्षता तो स्वयं भगवान श्री कृष्ण कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए कार्यक्रम के संस्थापक श्रीमती विजयलक्ष्मी विभा एवं संयोजक अनमोल खरे की प्रशंसा की और अपने आशीर्वचन दिए।

काव्य पाठ के दौरान जगदीश किंजल्क के सुपुत्र श्री अद्वैत खरे ने कविता के माध्यम से अपने पिता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कविता पाठ किया, जिससे पूरा सभागार भाव विभोर हो गया।

डॉ०प्रदीप चित्रांशी – गंभीर चिंतन के धनी जगदीश किंजल्क अपने पिता से साहित्यानुशासन को गहराई से आत्मसात करने के बाद उनके आदर्शों पर चलते हुए उन्होंने अपने लेख ,कहानी एवं परिचर्चाएँ या कूँचियों के द्वारा शब्द चित्र का मकसद मात्र मनोरंजन करना नहीं,बल्कि ज्ञान के प्रकाश का उजियारा घर-घर तक पहुँचाना है ,इसीलिए आज भी उनका साहित्य जीवन्त है।

डॉ विमला व्यास – जिस तरह अक्षर का क्षरण नहीं होता उसी तरह इन अक्षरों से निर्मित साहित्य भी कभी मरता नहीं, वो कालजयी होता है! उसी तरह साहित्य के सृजनकर्ता भी अपनी लेखनी के माध्यम से सदैव जीवित रहते हैं! श्रद्धेय जगदीश किंजल्क जी भी अपने द्वारा रचित साहित्य में हमें दिखाई देते हैं, सुनाई देते हैं, आज भी वह चर्चा और परिचर्चा में हैं!

अनवर अब्बास नक़वी – साहित्यिक गुरु एवं पिता की छाँव में साहित्य की आत्मा से संवाद करने वाले जगदीश किंजल्क लेख,कहानी तथा साहित्यिक या सामाजिक परिचर्चा में समाज की समस्याओं पर खुलकर चर्चा करते थे क्योंकि उनका मानना था कि साहित्य लड़खड़ाते हुओं को सँभालने का काम करता है,चाहे वह इन्सान की अपनी लड़खड़ाहट हो या समाज की,यह साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका है।

कार्यक्रम के संयोजक अनमोल खरे ने सभी साहित्य प्रेमियों को धन्यवाद करते हुए यह आश्वासन दिया कि यह संस्था प्रतिवर्ष सम्मान समारोह आयोजित करती रहेगी और प्रगतिशील रहते हुए साहित्यकारों को मंच प्रदान करती रहेगी।

 

Anveshi India Bureau

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