प्रयागराज।प्रतिष्ठित कवि अनुपम परिहार के पहले काव्य संग्रह ‘अनुता’ का लोकार्पण एक भव्य समारोह में संपन्न हुआ। इस अवसर पर शहर के अनेक साहित्यकार, विद्वान, और कला-प्रेमी उपस्थित रहे। ‘अनुता’ में अनुपम परिहार ने अपनी विशिष्ट दृष्टि से कविताओं का एक समृद्ध संसार रचा है, जिसमें जीवन की गहराई, रिश्तों की ऊष्मा, और मानवीय संवेदनाओं का जीवंत चित्रण किया गया है।
मुख्य अतिथियों और उनके विचार
समारोह की अध्यक्षता ख्यात साहित्यकार श्री हरिश्चंद्र पांडे ने की। उन्होंने ‘अनुता’ पर टिप्पणी करते हुए इसे एक संवेदनशील कवि की गहरी भावनाओं का संग्रह बताया। उन्होंने ‘गुमशुदी’ कविता का विशेष रूप से उल्लेख किया और इसे पढ़ने की सिफारिश की।
प्रख्यात इतिहासकार प्रो. हेरम्ब चतुर्वेदी ने कहा कि अनुपम की कविताएँ मिथकों को एक नए दृष्टिकोण से देखती हैं और उन्हें वर्तमान संदर्भ से जोड़ती हैं। सरस्वती के संपादक रविनंदन सिंह ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अनुपम की कविताएँ पाठकों के भीतर बेचैनी पैदा करती हैं और इन्हें अंग्रेजी साहित्य के कुछ प्रमुख कवियों के समान मानते हुए उन्होंने कई कविताओं का उदाहरण दिया। सुधीर सिंह, डॉ. स्कंद शुक्ल, और विवेक सत्यांशु ने भी ‘अनुता’ को एक समृद्ध संग्रह बताया।
जाने-माने वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. अजय सोनकर ने अनुपम की रचनात्मकता की सराहना करते हुए कहा कि केवल एक संवेदनशील व्यक्ति ही इस प्रकार की उत्कृष्ट कविताएँ लिख सकता है।
अन्य उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
कार्यक्रम डॉ प्रकाश खेतान, स्वस्तिक बोस, व्रतशील शर्मा, डॉ. राघवेंद्र प्रताप सिंह चंदेल, डॉ. हरिश्चंद्र गुप्ता, नवीन कुमार सिंह पटेल, डॉ. विष्णु प्रताप सिंह, विजय बहादुर, यशवंत, इरशाद अहमद, अरिंदम घोष, सुप्रतीक घोष, जयदीप गांगुली, शुभांकर दत्ता, मयंक श्रीवास्तव सहित कई विद्वान मौजूद थे। इन सभी ने ‘अनुता’ को एक साधारण व्यक्ति की असाधारण भावनाओं का दस्तावेज मानते हुए इसे भारतीय साहित्य में एक नवीन योगदान बताया।
संग्रह की विशेष कविताएँ अनुता’ में प्रमुख कविताओं में ‘भरत,’ ‘रावण,’ ‘सुषेन,’ ‘कैकेई,’ ‘जटायु,’ और ‘विभीषण’ जैसे मिथकीय पात्रों पर आधारित रचनाएँ शामिल हैं, जिनमें कवि ने इन चरित्रों को अपनी दृष्टि से पुनर्परिभाषित किया है। इसके अतिरिक्त, ‘जिज्जी,’ ‘पापा,’ ‘स्पर्श,’ ‘चेन्नई से वापसी,’ और ‘गुमशुदगी’ जैसी कविताओं ने भी श्रोताओं का ध्यान आकर्षित किया। इन कविताओं में अनुपम परिहार ने रिश्तों की गहराई और जीवन के अनुभवों को प्रभावशाली ढंग से उकेरा है।कवि का आभार और धन्यवाद ज्ञापनकार्यक्रम के अंत में अनुपम परिहार ने अपने समस्त अतिथियों और श्रोताओं का आभार प्रकट किया।
समारोह की महत्ता प्रयागराज के साहित्यिक जगत के लिए यह आयोजन एक महत्वपूर्ण दिन रहा, जिसमें अनुपम परिहार ने अपनी लेखनी के माध्यम से साहित्य में एक नई दिशा का संकेत दिया। ‘अनुता’ का यह काव्य संग्रह निश्चित ही पाठकों के मन में एक अमिट छाप छोड़ेगा।
Anveshi India Bureau