Wednesday, July 2, 2025
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श्रीमज्ज्योतिष्पीठ के दो शंकराचार्यों द्वारा मुझे आशीर्वाद देकर ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य बनाया गया-शंकराचार्य वासुदेवानंद

प्रयागराज 14 दिसम्बर। श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी के सानिध्य में भगवान आदिशंकराचार्य मंदिर श्री ब्रह्मनिवास, अलोपीबाग में आयोजित नौ-दिवसीय आराधना महोत्सव में पूज्य स्वामी जी ने बताया कि आदिशंकराचार्य भगवान द्वारा स्थापित ज्योतिष्पीठ की परम्परा में श्रीमज्ज्योतिष्पीठोद्धारक जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती जी की वसीयत में हुए ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी शान्तानंद सरस्वती और उनके बाद स्वामी विष्णुदेवानंद सरस्वती जी के आशीर्वाद से मैं 14/15 नवम्बर, 1989 में श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू आदिशंकराचार्य के नाम पद पर पीठासीन हुआ और आज भी हूँ। ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य के रूप में किसी अन्य व्यक्ति को कभी भी किसी न्यायालय द्वारा ज्योतिष्पीठाधीश्वर घोषित नहीं किया गया है न ही किसी के पक्ष में कभी किसी शंकराचार्य ने किसी भी प्रकार से स्वामित्व का अधिकार (टाइटिल) दिया। पूज्य शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि उन्हीं गुरूओं की स्मृति में मैं निरन्तर आराधना महोत्सव अनुष्ठान आयोजित करता हूँ।

आराधना महोत्सव के आठवें दिन शनिवार को श्रीमद्भागवत कथा में मध्य प्रदेश से पधारे पूज्य व्यास आचार्य पं0 ओम नारायण तिवारी ने बताया कि छल-कपट, अधर्म, झूठ और भाई-बन्धुओं के हक-अधिकार पर नियत खराब रखने वाले, महिलाओं का अपमान करने वाले और जुँआ इत्यादि दुव्र्यसन में लगने वाले व्यक्ति का दुखद अन्त होता है तथा पराजित भी होते हैं। इसीलिए धर्मपक्ष के लिए सदैव संघर्ष करने वाले धर्मराज युधिष्ठिर की अंत में विजय हुई। श्रीमद्भागवत कथा में पूज्य व्यास जी ने ईश्वर के विभिन्न अवतारों और उनके कार्य-लीलाओं का सारगर्भित सहज वर्णन भी किया।

कथास्थल पर ज्योतिष्पीठ के पूर्व शंकराचार्यों के सम्मान में आराधना महोत्सव कार्यक्रम में श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी द्वारा नगर निगम, जोन-4, अल्लापुर के समस्त सफाई मित्रों, ड्राइवरों और सफाई के समस्त कर्मचारियों, सफाई नायकों सहित लगभग एक हजार लोगों को सम्मान-पत्र भेंटकर माला पहनाकर, साल भेंटकर सम्मानित किया गया, जिसमें प्रमुख रूप से श्री संजय ममगाई (जोनल इंचार्ज), गोविन्द वाजपेई (मुख्य सफाई निरीक्षक) और सृष्टिटीम प्रमुख अशोक पटेल की विशेष भागीदारी व सहयोग किया।

प्रातःकाल 07:00 बजे से 12:00 बजे तक नवाह्न श्रीरामचरितमानस पाठ जयपुर राजस्थान से पधारे मानस-मर्मज्ञ राधा मोहन एवं उनके साथियों द्वारा श्रीरामचरितमानस का सस्वर पाठ किया गया। अपराह्न 02:00 बजे से 05:00 बजे तक श्रीमद्भागवत कथा, 05:00 बजे से 06:00 बजे तक पूज्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती जी का आशीर्वचन एवं इसके बाद 07:00 बजे से 09ः00 बजे तक भगवान शिवलिंग का भव्य रुद्राभिषेक अनुष्ठान सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से दंडीस्वामी विनोदानंद सरस्वती, दंडीस्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती, दंडीस्वामी ब्रह्मपुरी जी, श्री बंगाली बाबा रामपुर, अवधूतानंद जी-गोवर्धन-मथुरा और अच्युतानंद जोशीमठ सहित दंडीस्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती जी, ज्योतिष्पीठ संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य पं0 शिवार्चन उपाध्याय, आचार्य पं0 अभिषेक मिश्रा, आचार्य पं0 विपिनदेवानंद जी, आचार्य पं0 मनीष मिश्रा, अशोक कनकने, त्रिलोकी नाथ, जगदीश प्रसाद ववरइया, सीताराम शर्मा, अनुराग जी, दीप कुमार पाण्डेय आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे। पन्द्रह दिसम्बर, दिन रविवार को 02:00 बजे से श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी शान्तानंद सरस्वती जी का विशेष-पूजा, आरती उसके बाद शिखा प्रतियोगिता तथा श्रीमद्भागवत कथा की आरती के पश्चात् समापान समारोह होगा।

 

Anveshi India Bureau

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