Thursday, October 23, 2025
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Diwali 2025 : दीपावली पर आज होगी गणेश-लक्ष्मी, महाकाली की पूजा, सोमवार को ही अमावस्या

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या पर 20 अक्तूबर को दीपावली श्रद्धा भाव एवं हर्षोल्लास से मनाई जाएगी | शुभ मुहूर्त में गणेश-लक्ष्मी व महाकाली की पौराणिक अथवा तांत्रिक विधि से साधना-उपासना की जाएगी।

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या पर 20 अक्तूबर को दीपावली श्रद्धा भाव एवं हर्षोल्लास से मनाई जाएगी | शुभ मुहूर्त में गणेश-लक्ष्मी व महाकाली की पौराणिक अथवा तांत्रिक विधि से साधना-उपासना की जाएगी। दीप पर्व पर उद्योग-धंधे संग नवीन कार्य करने एवं पुराने व्यापार में खाता पूजन का विशेष विधान है। ज्योतिर्विद पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के मुताबिक दीपावली के लिए अमावस्या सोमवार को 2:32 बजे से आरंभ होकर 21 अक्तूबर मंगलवार शाम 4:25 बजे तक रहेगा। सोमवार को ही प्रदोष काल का भी बहुत ही उत्तम योग मिल रहा है।

ग्रहीय योग

इस वर्ष दीपावली के दिन ग्रहों का भी बहुत ही सुंदर योग बन रहा है। जहां इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में शुक्र के साथ विद्यमान होगा। वहीं बुध शुक्र की राशि तुला में विद्यमान रहकर बुधादित्य एवं राशि परिवर्तन राजयोग का निर्माण करेगा। बुध एवं शुक्र का राशि परिवर्तन योग भी बन रहा है। मंगल शुक्र की राशि तुला में सूर्य के साथ भौमादित्य नामक योग का निर्माण करके विद्यमान होगा।

गुरु अपनी उच्च राशि कर्क में गोचर करेंगे। शनि, देव गुरु बृहस्पति की राशि मीन में, केतु सिंह राशि में तथा राहु कुंभ राशि में गोचर करेगा। पं. दिवाकर ने बताया कि ज्योतिर्निर्बन्ध में कहा गया है कि कार्तिक मास की जिस तिथि अर्थात जिस अमावस्या तिथि में प्रदोष काल, निशीथ काल तथा महा निशीथ काल मिल रहा हो, वही अमावस्या तिथि दीपावली की पूजन के लिए श्रेष्ठ मानी जाएगा। 

Diwali 2025: Ganesh-Lakshmi, Mahakali will be worshiped today on Diwali, Amavasya on Monday only

व्यापारिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होता है प्रदोष काल

प्रदोष काल का महत्त्व गृहस्थों एवं व्यापारिक कार्यों के लिए महत्त्वपूर्ण होता है। महानिशीथ काल तांत्रिक कार्यों एवं क्रियाओं के लिए उपयुक्त होता है । प्रत्येक वर्ष अमावस्या व्यापिनी महानिशिथ काल तंत्र साधना के लिए महत्वपूर्ण होता है।

महानिशीथ काल अर्थात महानिशा काल मध्यरात्रि में स्थिर लग्न सिंह 1:18 से 3:32 बजे के मध्य है । निशा पूजा, काली पूजा, तांत्रिक पूजा के लिए शुभ चौघड़िया के साथ मध्य रात में 1:35 से बजे से 3:33 बजे तक है। यह मुहूर्त अति महत्त्वपूर्ण, अति शुभ एवं कल्याणकारक है। इस प्रकार प्रदोष काल में ही माता लक्ष्मी, भगवान गणेश एवं कुबेर आदि सहित दीपावली पूजन का श्रेष्ठ विधान है। प्रदोष काल में ही दीप प्रज्वलित करना उत्तम फल दायक होता है।

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सर्वोत्तम प्रदोष काल स्थिर लग्न वृष सहित शाम 6:51 से 8:48 बजे तक

दीप प्रज्वलित करने के लिए श्रेष्ठ समय सायं 05:40 से 6:51 बजे तक

अमावस्या तिथि पर सोमवार को दीपावली पूजन के लिए स्थिर लग्न

20 अक्तूबर सोमवार को स्थिर लग्न कुंभ दिन में 2:33 से लेकर के 3:44 बजे के बीच में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए पूजन किया जा सकता है। शुभ चौघड़िया चर एवं लाभ इस समय प्राप्त हो रही है। 20 अक्तूबर सोमवार को स्थिर लग्न वृष रात में 6:51 से 8:48 बजे तक अति श्रेष्ठ है एवं प्रदोष काल से युक्त है। साथ ही सायं 5:31 बजे से 6:11 बजे तक शुभ चौघड़िया भी है। अतः दीप प्रज्ज्वलित करने का श्रेष्ठ मुहुर्त्त। गृहस्थों के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त्त। 20 अक्तूबर सोमवार को स्थिर लग्न सिंह मध्य रात्रि बाद 1:18 से 3:32 बजे रात तक एवं शुभ चौघड़िया के साथ 1:35 से 3:10 बजे तक। यह तंत्र साधना करने वालों के लिए उत्तम मुहूर्त है।

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अन्नकूट पूजा व गोवर्धन पूजा

कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 22 अक्तूबर को अन्नकूट पूजा एवं काशी से अन्यत्र गोवर्धन पूजा मनाई जाएगी। काशी को छोड़कर सभी जगह गोवर्धन पूजा प्रत्येक वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि में मनाई जाती है । इस वर्ष 22 अक्तूबर बुधवार को सूर्योदय के साथ ही प्रतिपदा तिथि आरंभ हो जा रही है, जो सायं 6:18 बजे तक व्याप्त होगी। इसी तरह देव मंदिरों में प्रसिद्ध अन्नकूट का पर्व 23 अक्तूबर बुधवार को सर्वत्र मनाया जाएगा। यद्यपि कि यह पर्व प्रायः दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है लेकिन इस वर्ष तिथि के व्यतिक्रम की वजह से 20 अक्तूबर को दीपावली 21 अक्तूबर को भौमवती अमावस्या के साथ स्नान दान की अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त सूर्योदय से लेकर शाम 6:18 बजे तक कभी भी किया जा सकता है।

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शुभ चौघड़िया मुहूर्त

सुबह 7:45 से लेकर 12:00 बजे तक

दोपहर में 2:52 से लेकर 4:18 बजे तक।

कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया 23 अक्तूबर बृहस्पतिवार को काशी में गोवर्धन पूजा एवं सर्वत्र अर्थात सभी जगह भ्रातृ द्वितीया भैया दूज का पावन पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन चित्रगुप्त भगवान की पूजा, कलम-दवात की पूजा भी की जाती है। परंपरा अनुसार इस दिन भाइयों को अपनी बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए । द्रव्य- वस्त्र आदि कुछ उपहार प्रदान करके बहनों को सम्मानित करना चाहिए। इससे भाइयों के आयु एवं यश कीर्ति में वृद्धि होती है।

 

 

 

Courtsy amarujala
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