मनाने के बावजूद नहीं लौटने पर भरत उनकी खड़ाऊं लेकर अयोध्या लौट आए थे। उसे राजगद्दी पर विराजित कर राजकाज चलाया था। वहीं, विडंबना देखिए कि रामलीला के जरिये उनके आदर्शों को जनता तक पहुंचाने वाले खुद ही लड़ रहे हैं। फिलहाल, अब अदालत ही बताएगी कि पितृ पक्ष के बाद शुरू होने वाली रामलीला और दशहरे के मेले का आयोजन कौन करेगा। ये तीन केस तो सिर्फ बानगी हैं।
राजपाट को त्यागने का आदर्श प्रस्तुत करने वाले प्रभु श्रीराम की लीला के मंचन को लेकर कई जगह सिंहासन के लिए ‘महाभारत’ छिड़ी गई है। रामलीला प्रबंध समितियों का आंतरिक युद्ध थाने से लेकर हाईकोर्ट तक जारी है। राम अपने पिता राजा दशरथ के वचन को निभाने के लिए बिना विरोध राजमहल छोड़कर 14 वर्ष के वनवास पर चले गए थे।