Saturday, March 15, 2025
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“गंगा पंडाल में कला, भक्ति और संगीत का दिव्य संगम – जलतरंग से वायलिन तक गूंजे सुर, नृत्य में सजीव हुई गंगा की गाथा!”

कार्यक्रम का शुभारंभ पंडित मिलिंद तुलंकर (पुणे) ने जलतरंग पर राग हंसध्वनि प्रस्तुत कर जल की पवित्र ध्वनि को सजीव किया। आलाप, जोड़, झाला के माध्यम से ध्वनि की तरंगों ने शांति व ऊर्जा का संचार किया। मध्य लय और द्रुत लय में प्रस्तुत तीनताल ने संगीत प्रेमियों को भावविभोर कर दिया।

 

दूसरी प्रस्तुति में प्रसिद्ध नृत्यांगना

देबामित्रा सेनगुप्ता की ओडिसी नृत्य-नाटिका ‘स्नेहमयी गंगा’ ने ब्रह्म पुराण और वाल्मीकि रामायण से प्रेरित गंगा अवतरण की पावन गाथा को जीवंत किया। प्रस्तुति में महर्षि कपिल, भगीरथ की तपस्या और भगवान शिव द्वारा गंगा को जटा में धारण करने की दिव्य कथा को दर्शाया गया। कथा के अंत में गंगा की वर्तमान स्थिति पर विचार करते हुए, गंगा संरक्षण का संकल्प लिया गया, जिससे उसका पवित्र प्रवाह आने वाली पीढ़ियों तक बना रहे।

 

 

तीसरी प्रस्तुति पद्मश्री एवं संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त गुरु रंजना गौहर के निर्देशन में आज ‘ओम नमः शिवाय’ नृत्य प्रस्तुति ने शिव के सृजन और संहार के अनंत चक्र को जीवंत किया। एक उत्सव एजुकेशनल एंड कल्चरल सोसाइटी तथा रंजना की ओडिसी डांस अकादमी द्वारा प्रस्तुत इस नृत्य नाटिका में शिव की दिव्यता, शून्य से सृष्टि और महाकाल के रूप में उनके सत्य को प्रभावशाली ढंग से मंचित किया गया। नृत्य की लय और सृष्टि के पंचतत्वों का अद्भुत समन्वय दर्शकों को आध्यात्मिक अनुभूति से भर गया।

 

 

चौथी प्रस्तुति आज सुश्री पार्वती रवि घंटासाला की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति ने दर्शकों को भक्ति और अध्यात्म की गहराइयों तक पहुंचा दिया। तुलसीदास के शिव भजन से आरंभ हुई संगीतमय यात्रा मुत्थुस्वामी दीक्षितर की कर्नाटिक रचना “कंचदलायाक्षी” में देवी कांची कामाक्षी की महिमा तक विस्तृत हुई। “लय विन्यासम” में भगवान शिव के डमरू की लय नृत्य रूप में जीवंत हुई, जबकि अंतिम प्रस्तुति माँ गंगा के अवतरण और शिव द्वारा उन्हें जटाओं में धारण करने की कथा को मार्मिक रूप से दर्शाया गया। इस नृत्य नाटिका ने महाकुंभ के आत्मशुद्धि और मोक्ष के संदेश को साकार कर दिया।

 

 

पांचवी प्रस्तुति सुप्रसिद्ध वायलिन वादक सुश्री संगीता शंकर ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। राग बागेश्वरी की गहनता और बनारसी होरी की रंगत ने संगीत प्रेमियों को भाव-विभोर किया। तबले पर अभिषेक के संगम ने इस संगीतमय अनुभव को और भी प्रभावशाली बना दिया।

अंत मे संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के कार्यक्रम अधिषासी श्री कमलेश कुमार पाठक, नोडल ऑफिसर डॉ सुभाष चंद्र यादव एवं भारत सरकार संस्कृति विभाग सलाहकार गौरी जी ने सभी कलाकारों को अंग वस्त्रम तथा स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का मंच संचालन शैलेंद्र माधुरी जी ने किया।

 

 

 

Anveshi India Bureau

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