Tuesday, September 17, 2024
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हाथरस हादसे में नया खुलासा: मदद नहीं करने दे रहे थे सेवादार… भड़क गए युवा; तब तक हो चुकी थी बहुत देर

फुलरई, मुगलगढ़ी, बरई सहायपुर, बमनहार गड़िया, खेरिया, नगला भगे, उमरायपुर और सिकंदराराऊ के ग्रामीण, खासकर युवा हादसा होते ही देवदूत बनकर मौके पर पहुंच गए थे। इन गांवों के लोगों ने गड्ढे से सत्संगियों को निकालने, उन्हें निजी वाहनों, एंबुलेंस के जरिये अस्पतालों में भेजने में मदद की।

इस दौरान उनकी चप्पलें कीचड़ में गायब हो गई। कपड़े और शरीर कीचड़ से सराबोर हो गया, लेकिन वह एक-एक घायल और मृतक के जाने के बाद ही वहां से हटे। फुलरई में जिस स्थान पर गड्ढे में सत्संगी गिर रहे थे, उससे सीधी दिशा में करीब चार-पांच सौ मीटर दूर बरई सहायपुर के खेतों और ईंट भट्ठे पर राजकुमार, श्याम कुमार, वृजेश, वीकेश आदि अपने खेतों की रखवाली कर रहे थे।

New revelation in Hathras stampede Sevadaars were not allowing to help youth got angry by then it was too late

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सामने सड़क पर भगदड़, शोर सुनकर वह भागते हुए मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि तीन-चार लोग मिलकर महिलाओं को गड्ढे से निकालते। बगल में खाली पड़े खेत और चरी के खेत में उन्हें लिटाते जाते। इनमें से कुछ की सांसें चल रही थीं। इस पर सड़क पर मौजूद निजी वाहनों के चालकों से अनुरोध कर अस्पतालों के लिए भेजते रहे।

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फुलरई में जिस स्थान पर सत्संग चल रहा था, उसके ठीक सामने सड़क के दूसरी ओर गड्ढे में लोग गिरे थे। यह गड्ढा और खेत भी फुलरई-मुगलगढ़ी न्याय पंचायत में ही आता है।

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खेत के दलदल में छूटते रहे जूते-चप्पल
जिस जगह गड्ढे में लोग गिर रहे थे, उसके आगे एक खाली खेत है और बगल में आधे खेत में चरी बोई गई है। सड़क की ओर खेत खाली है और सत्संग से पहले बारिश हो जाने के कारण पूरा खेत दलदल बना हुआ है। भगदड़ के दौरान जब सत्संग स्थल की ओर से सड़क पर आ चुके लोगों को तेज धक्का लगना शुरू हुआ तो वह सड़क के दूसरी ओर सड़क किनारे गड्ढे में गिरने से बचने के लिए चरी वाले खेत की ओर भी भागे। खेत दलदल बन चुका था।
Courtsy amarujala.com
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