सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इरफान समेत अन्य दोषियों की अपील संग दाखिल जमानत अर्जियों पर न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह प्रथम की अदालत सुनवाई कर रही है। बुधवार को इरफान के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता जी एस चतुर्वेदी और उपेंद्र उपाध्याय ने अपनी बहस पूरी की थी।
पटाखे नहीं, इरफान सोलंकी की मौजूदगी में झोपड़ी में आग लगाई गई थी। यह दलील सरकारी अधिवक्ताओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दी। कानपुर के चर्चित आगजनी कांड में सजा पाए सपा के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी, भाई रिजवान समेत अन्य दोषियों की जमानत अर्जी पर बृहस्पतिवार को बहस हुई।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इरफान समेत अन्य दोषियों की अपील संग दाखिल जमानत अर्जियों पर न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह प्रथम की अदालत सुनवाई कर रही है। बुधवार को इरफान के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता जी एस चतुर्वेदी और उपेंद्र उपाध्याय ने अपनी बहस पूरी की थी। सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता के एम नटराजन, शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड ने दलील पेश की।
कहा कि फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक झोपड़ी में आग पटाखे से नहीं बल्कि पेट्रोल और केरोसीन जैसे ज्वलनशील पदार्थ से लगाई गई थी। इरफान, रिजवान समेत सभी आरोपी मौके पर मौजूद थे। गौरतलब है कि 8 नवंबर 2022 को सपा विधायक इरफान सोलंकी, उसके भाई रिजवान, इजरायल आटेवाला, मो. शरीफ, शौकत अली, अनूप यादव, महबूब आलम, शमशुद्दीन उर्फ चच्चा, एजाजुद्दीन उर्फ सबलू, मो. एजाज, मुरसलीन भोलू, शकील चिकना के खिलाफ नजीर फातिमा ने अपनी झोपड़ी में आगजनी करने का मुकदमा जाजमऊ थाने में दर्ज कराया था।
जून 2024 में कानपुर की विशेष अदालत ने इरफान सोलंकी उनके भाई रिजवान, इजरायल आटेवाला, मो. शरीफ व शौकत अली को दोषी करार देते हुए सात साल की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ सभी दोषियों ने अपील दाखिल की है। जबकि राज्य सरकार ने इन्हें उम्रकैद दिए जाने की मांग की है।
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