यह फैसला न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने आरोपी दिनेश तिवारी की अपील स्वीकार करते हुए सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपी पति की ओर से पेश किए गए ट्रेन के टिकट पर विचार नहीं किया, जबकि उसी आधार पर सास-ससुर को बरी किया गया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज की मांग को लेकर पत्नी की हत्या में दोषी ठहराए गए युवक को बेगुनाह करार दिया। ट्रायल कोर्ट से मिली आजीवन कारावास और सात हजार रुपये जुर्माने की सजा रद्द कर दी।
यह फैसला न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने आरोपी दिनेश तिवारी की अपील स्वीकार करते हुए सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपी पति की ओर से पेश किए गए ट्रेन के टिकट पर विचार नहीं किया, जबकि उसी आधार पर सास-ससुर को बरी किया गया। साथ ही ट्रायल कोर्ट विरोधाभाषी एफआईआर से उपजे संदेह पर विचार करने में भी विफल रही।
दोनों एफआईआर से प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि पहले मृतका की जलाकर मारने का आरोप लगाया गया। जबकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद गला दबाकर हत्या की एफआईआर दर्ज कराई गई, जो संदेहास्पद है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के सजा के फैसले को पलटते हुए 13 साल से जेल में बंद पति को बेगुनाह बता सभी आरोपों से बरी कर दिया।
पिता का आरोप…दहेज के लिए बेटी की हत्या की गई
Courtsy amarujala.com