Friday, November 22, 2024
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High Court : पत्नी की हत्या में उम्रकैद भुगत रहा युवक 13 साल बाद बेगुनाह, सास-ससुर पहले ही हो चुके हैं बरी

यह फैसला न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने आरोपी दिनेश तिवारी की अपील स्वीकार करते हुए सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपी पति की ओर से पेश किए गए ट्रेन के टिकट पर विचार नहीं किया, जबकि उसी आधार पर सास-ससुर को बरी किया गया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज की मांग को लेकर पत्नी की हत्या में दोषी ठहराए गए युवक को बेगुनाह करार दिया। ट्रायल कोर्ट से मिली आजीवन कारावास और सात हजार रुपये जुर्माने की सजा रद्द कर दी।

यह फैसला न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने आरोपी दिनेश तिवारी की अपील स्वीकार करते हुए सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपी पति की ओर से पेश किए गए ट्रेन के टिकट पर विचार नहीं किया, जबकि उसी आधार पर सास-ससुर को बरी किया गया। साथ ही ट्रायल कोर्ट विरोधाभाषी एफआईआर से उपजे संदेह पर विचार करने में भी विफल रही।

दोनों एफआईआर से प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि पहले मृतका की जलाकर मारने का आरोप लगाया गया। जबकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद गला दबाकर हत्या की एफआईआर दर्ज कराई गई, जो संदेहास्पद है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के सजा के फैसले को पलटते हुए 13 साल से जेल में बंद पति को बेगुनाह बता सभी आरोपों से बरी कर दिया।

पिता का आरोप…दहेज के लिए बेटी की हत्या की गई

मामला कौशाम्बी के चरवा थाना क्षेत्र का है। लक्ष्मी नारायण मिश्र ने बेटी पूनम की शादी दिनेश संग दो मार्च 2008 में की थी। पांच अगस्त 2011 को पूनम की मौत उसकी ससुराल में हो गई। सूचना मिलने पर पहुंचे उसके पिता ने दामाद दिनेश तिवारी और उसके माता-पिता के खिलाफ बेटी की हत्या की एफआईआर दर्ज कराई। आरोप लगाया कि 21 हजार रुपये, सोने की जंजीर और एक भैंस की मांग पूरी नहीं होने पर उनकी बेटी को जलाकर मार डाला गया।

इसके बाद पोस्टमार्टम में गला दबाकर मारने के बात सामने आई तो पिता की ओर से घटना के आठ दिन बाद गला दबाकर मारने की एफआईआर दर्ज कराई। विवेचक ने सभी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट ने आरोप पत्र दाखिल किया। 19 अक्तूबर 2013 को फैसला सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट ने सास-ससुर को निर्दोष करार दिया, जबकि पति दिनेश को आजीवन कारावास और सात हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

आरोपी की दलील…माता-पिता संग गया था वैष्णो देवी

 

ट्रायल कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ दिनेश तिवारी ने हाईकोर्ट का रुख किया। कहा कि घटना के दिन वह मौके पर मौजूद नहीं था। अधिवक्ता प्रदीप कुमार राय ने दलील दी कि घटना वाले दिन पति अपने माता-पिता संग वैष्णो देवी दर्शन करने गया था। घटना वाले दिन दिल्ली से प्रयागराज तक का आरक्षित कोच में उसके माता-पिता टिकट था। जबकि, उसने साधारण टिकट से यात्रा की थी। टिकट के आधार पर माता-पिता बरी किए गए। लेकिन, उसे सजा सुनाई गई। साथ ही पिता की ओर से पहले जला कर मारने और फिर पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद गला दबाकर मारने की एफआईआर कराई गई, जो संदेहास्पद है।

 

Courtsy amarujala.com

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