Allahabad High Court : कोडिनयुक्त सिरप मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने मांग इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। यह केस मुख्य आरोपी वाराणसी के शुभम जायसवाल के साथ ही 40 आरोपियों ने दाखिल की थी। कोर्ट का आदेश आने के बाद अब आरोपियों की गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कोडीन युक्त कफ सिरप का उपयोग चिकित्सा उद्देश्यों के बजाय नशे के लिए किया जा रहा है, तो ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के साथ ही एनडीपीएस एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने प्राथमिकी रद्द करने व गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग में दायर याचिका को खारिज कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अचल सचदेव की खंडपीठ ने बीरेंद्र लाल वर्मा और चार अन्य व शुभम जायसवाल सहित लगभग 40 आरोपियों की याचिका पर दिया है।
सोनभद्र, गाजियाबाद, वाराणसी, कानपुर और जौनपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में पुलिस और आबकारी विभाग ने कफ सिरप की लाखों बोतलें पकड़ी थीं। जांच में पाया गया कि ये सिरप रांची (झारखंड) से फर्जी बिलों और ई-वे बिलों के जरिए उत्तर प्रदेश और अन्य पड़ोसी राज्यों जैसे बिहार और त्रिपुरा में तस्करी किए जा रहे थे। इस मामले में पुलिस ने वाराणसी के शुभम जायसवाल सहित लगभग 40 लोगों के खिलाफ विभिन्न जिलों प्राथमिकी दर्ज की है। आरोपियों ने इन एफआईआर को रद्द करने व गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग में याचिका दायर की थी।
नशे के रूप में किया जाता है कोडिन का इस्तेमाल
याची अधिवक्ता ने दलील दी कि ये दवाएं लाइसेंस के तहत बेची जा रही हैं और कोडीन की मात्रा कम होने के कारण यह एनडीपीएस एक्ट के दायरे में नहीं आता। वहीं अपर महाधिवक्ता अनूप त्रिवेदी व अधिवक्ता परितोष मालवीय ने दलील दी कि पकड़ी गई दवा में कोडीन का इस्तेमाल किया गया है। ऐसे में कोडीन का दवा के बजाए नशे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है तो एनडीपीएस एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है।
कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद माना कि ”ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट” बाजार में मानक बनाए रखने के लिए है, जबकि ”एनडीपीएस एक्ट” नशे के अवैध कारोबार को रोकने के लिए बनाया गया कानून है। ऐसे में दोनों कानून एक साथ लागू हो सकते हैं। हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए पुलिस को सावधानीपूर्वक और बिना किसी दुर्भावना के जांच जारी रखने का निर्देश दिया है। लाइसेंस की आड़ में नशीली दवाओं की कालाबाजारी में शामिल हैं। अब उन्हें एनडीपीएस एक्ट की कठोर धाराओं और लंबी जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है।
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