Friday, October 24, 2025
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High Court : गलत तथ्य पर मिली जमानत को समानता के लिए आधार नहीं बनाया जा सकता

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि गलत तथ्य पर मिली जमानत को समानता के लिए आधार नहीं बनाया जा सकता है। इस टिप्पणी संग कोर्ट ने चार लोगों की धारदार हथियार से हत्या करने के आरोपी की दूसरी जमानत अर्जी भी खारिज कर दी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि गलत तथ्य पर मिली जमानत को समानता के लिए आधार नहीं बनाया जा सकता है। इस टिप्पणी संग कोर्ट ने चार लोगों की धारदार हथियार से हत्या करने के आरोपी की दूसरी जमानत अर्जी भी खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकलपीठ ने वरिश खान की अर्जी पर दिया।

प्रयागराज के होलागढ़ थाना क्षेत्र में अशोक कुमार पांडेय ने तीन जुलाई 2020 को मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि उनके छोटे भाई विमलेश कुमार पांडेय उर्फ लल्लन, उनकी दो बेटियों (कुमारी सिमु और शिबू) और बेटे प्रिंस की हत्या अज्ञात व्यक्तियों ने की है। जांच में वरिश खान समेत पांच व्यक्तियों सारिक, शाहरुख, डाबर, वरिश और फरमान की संलिप्तता सामने आई। गिरफ्तार किया गया तो उनसे हथियार व लूटे गए पैसे भी बरामद हुए थे। इस मामले का वरिश ने दूसरी जमानत अर्जी दाखिल की।

 

अधिवक्ता ने सह-अभियुक्त फरमान को 19 दिसंबर 2023 को मिली जमानत का हवाला देते हुए वरिश के लिए समानता के आधार पर जमानत की मांग की। इसका अपर शासकीय अधिवक्ता ने विरोध किया। दलील दी कि सह-अभियुक्त फरमान ने गलत तथ्य बताया कि उसके खिलाफ आरोप तय हो चुके हैं। शिकायतकर्ता का मुख्य परीक्षण भी दर्ज हो चुका है।

उसने गलत तथ्य के आधार पर जमानत पाई है। ऐसे में इसे समानता के तहत आधार नहीं बनाया जा सकता। कोर्ट ने एजीए की दलील स्वीकार कर कहा कि गलत तथ्य पर मिली जमानत के आधार पर न्यायाधीश समानता के तहत आरोपी को जमानत देने के लिए बाध्य नहीं हैं। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भी उल्लेख किया जिनमें कहा गया है कि अगर अपराध अत्यंत जघन्य प्रकृति का है और आरोपी का ट्रायल प्रगति पर है तो जमानत नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी। साथ ही ट्रायल जल्द पूरा करने का निर्देश दिया।

 

 

 

Courtsy amarujala
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