इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विदेशी कंपनी को दिए गए 55 करोड़ रुपये कर्ज के मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा और केंद्र सरकार से गंभीर सवाल पूछा है। कोर्ट ने कहा कि जब पूरा लेनदेन विदेश में हुआ है तो भारतीय कानून की भूमिका और बैंक की जिम्मेदारी को स्पष्ट किया जाना आवश्यक है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विदेशी कंपनी को दिए गए 55 करोड़ रुपये कर्ज के मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा और केंद्र सरकार से गंभीर सवाल पूछा है। कोर्ट ने कहा कि जब पूरा लेनदेन विदेश में हुआ है तो भारतीय कानून की भूमिका और बैंक की जिम्मेदारी को स्पष्ट किया जाना आवश्यक है। यह आदेश न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनिश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने ऑस्ट्रेलियाई नागरिक मोहम्मद फारूक की याचिका पर दिया।
मामला ऑस्ट्रेलियाई नागरिक मोहम्मद फारूक से जुड़ा है। उसने यूएई स्थित कंपनी एमएस फारलिन टिंबर्स के लिए गारंटर के रूप में बैंक ऑफ बड़ौदा को दुबई के एक वेयरहाउस गिरवी रखा था। कंपनी को करीब 55 करोड़ रुपये का ऋण बैंक ने दिया था। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह मामला पूरी तरह विदेशी भूमि से जुड़ा प्रतीत होता है। न तो संबंधित कंपनी भारतीय है और न ही याचिकाकर्ता यहां का नागरिक है। ऐसे में भारतीय कानून की उपयोगिता पर गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वेयरहाउस दुबई में बेच दिया गया है, लेकिन उससे पूरा कर्ज नहीं चुकाया जा सका। वहीं, बैंक ने यह भी आरोप लगाया कि गारंटी के समय दिया गया एक खाली चेक दुबई में बाउंस हुआ, जिसको लेकर वहां आपराधिक कार्यवाही लंबित है। साथ ही मूलधन और ब्याज मिलाकर अब बकाया राशि 104 करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है। कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह अगली सुनवाई पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के उन दिशानिर्देशों को प्रस्तुत करे, जिसके तहत विदेशी कंपनी को विदेश में ऋण दिया जाता है और उसके नागरिक से गिरवी संपत्ति ली जाती है।
बैंक से मांगे गए दस्तावेज
सुनवाई के दौरान बैंक ऑफ बड़ौदा के अधिवक्ता ने कोर्ट से समय मांगा। इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई पर यह स्पष्ट किया जाए कि दुबई स्थित गिरवी वेयरहाउस का मूल्यांकन क्या था। वेयरहाउस किस कीमत पर बेचा गया। बिक्री के बावजूद पूरा ऋण क्यों नहीं वसूला जा सका। साथ ही वेयरहाउस का खरीदार कौन है। कोर्ट ने मामले को जनवरी 2026 के पहले सप्ताह में दोपहर दो बजे पुनः सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है।
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