इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुंभ में हुई भगदड़ व अन्य गड़बड़ियों की जांच सीबीआई से कराने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि पहले ही जांच आयोग मामले की जांच कर रहा है तो सीबीआई से क्यों जांच करानी चाहिए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुंभ में हुई भगदड़ व अन्य गड़बड़ियों की जांच सीबीआई से कराने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि पहले ही जांच आयोग मामले की जांच कर रहा है तो सीबीआई से क्यों जांच करानी चाहिए, इसका उल्लेख नहीं किया गया है। पूरी याचिका पत्र-पत्रिकाओं में छपी खबरों के आधार पर हैं। तथ्य खोजने की कोशिश नहीं की गई है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली व न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने केशर सिंह, योगेंद्र कुमार पांडेय व कमलेश सिंह की जनहित याचिका पर दिया।
याचियों ने महाकुंभ में हुई अनियमितताओं, घटनाओं के लिए उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्रवाई की मांग की गई थी। साथ ही भगदड़ में जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, उन्हें मुआवजा देने व महाकुंभ मेले में हुई सभी घटनाओं की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई थी।
याची अधिवक्ता ने दलील दी कि महाकुंभ के दौरान प्रशासन अपने कर्तव्यों को निर्वहन करने में पूरी तरह से विफल रहा है। स्नान घाटों पर पानी की गुणवत्ता खराब थी। बनाए गए पांटून पुल में अधिकांश बंद रहे। भीड़ प्रबंधन ठीक नहीं था। कुप्रबंधन के चलते श्रद्धालुओं को लंबी दूरी तय करनी पड़ी। अन्य कई आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की।
वहीं शासकीय अधिवक्ता ने दलील दी कि जांच आयोग मामले की पहले ही जांच कर रहा है। ऐसे में आयोग के समानांतर कोई अन्य जांच के आदेश दिए जाते हैं तो आयोग की जांच में बाधा आएगी।
न्यायालय ने पक्षों को सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी। साथ ही कहा कि 45 दिनों तक चले महाकुंभ के दौरान यदि श्रद्धालुओं को हो रही परेशानियों से याची चिंतित थे तो उन्हें अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए था। लेकिन याचियों ने ऐसा नहीं किया। कोर्ट ने याचिका में कोई सार नहीं है। इसलिए इसे खारिज किया जाना चाहिए।
Courtsy amarujala.