इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाराणसी की दालमंडी में प्रस्तावित सड़क चौड़ीकरण परियोजना के चलते मकानों के ध्वस्तीकरण के खिलाफ दाखिल याचिका में डीएम ने हलफनामा दाखिल कर दिया है। कहा है कि नियमानुसार अधिग्रहण व मुआवजा देने के बाद ही भवनों को ध्वस्त किया जाएगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाराणसी की दालमंडी में प्रस्तावित सड़क चौड़ीकरण परियोजना के चलते मकानों के ध्वस्तीकरण के खिलाफ दाखिल याचिका में डीएम ने हलफनामा दाखिल कर दिया है। कहा है कि नियमानुसार अधिग्रहण व मुआवजा देने के बाद ही भवनों को ध्वस्त किया जाएगा।
वर्तमान में दालमंडी में कोई भी ध्वस्तीकरण अभियान नहीं चल रहा है। जिन लोगों की भूमि सड़क के चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण के दायरे में आएगी, उन पर कानून की उचित प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी। किसी को भी कानूनी अधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा। सरकार के हलफनामा का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता व न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने शहनाज परवीन की याचिका पर दिया। दालमंडी निवासी याची ने सड़क चौड़ीकरण के दायरे में आ रहे मकानों के ध्वस्तीकरण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याची का कहना था कि राज्य के प्रतिवादी उसके निर्माण को बिना किसी अधिग्रहण या मुआवजे के भुगतान के ध्वस्त करने की बात कह रहे हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
राज्य की ओर से जिला अधिकारी ने हलफनामा देकर बताया कि राज्य सरकार दालमंडी सड़क को चौड़ा और सुदृढ़ बनाने का प्रस्ताव कर रही है। भू-स्वामियों को उनकी सहमति, अधिग्रहण व मुआवजा देने के बाद उनके मकानों को ध्वस्त किया जाएगा। कानून का पालन किए बिना कोई भी ध्वस्तीकरण कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने राज्य के हलफनामे का संज्ञान लेते हुए पक्षों को सुनने के बाद याचिका निस्तारित कर दी।
Courtsy amarujala



