Sunday, September 14, 2025
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High Court : जस्टिस यशवंत वर्मा का स्थानांतरण इलाहाबाद हाईकोर्ट करने पर भड़का HBCA, कहा- हम कूड़ा घर नहीं

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट किए जाने के सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के फैसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। जस्टिस वर्मा के घर कथित तौर पर करोड़ों रुपये मिले हैं। इसके बाद उनका तबादला इलाहाबाद किया गया है। हाईकोर्ट बार ने कोलेजियम के फैसले पर हैरानी जताई है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का स्थानांतरण इलाहाबाद हाईकोर्ट किए जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। बार एसोसिएशन ने पत्र जारी कर कहा है कि हम कूड़ा घर नहीं हैं। बार ने कहा कि समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला है कि दिल्ली में न्यायमूर्ति के घर में लगी आग को बुझाने के दौरान लगभग 15 करोड़ रुपए मिले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति का स्थानांतरण इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया है। हाईकोर्ट बार ने पत्र जारी कर इसका कड़ा विरोध किया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने दिल्ली के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर से कथित रूप से नगदी मिलने पर उनका स्थानांतरण इलाहाबाद हाईकोर्ट किए जाने पर कड़ा विरोध जताया है। बार ने पत्र जारी कर कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई कचरे का डिब्बा नहीं है और न ही भ्रष्टाचार का अड्ढा है। जहां पर किसी भी भ्रष्टाचार में आरोपित न्यायमूर्ति का स्थानांतरण कर दिया जाए। हम भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे और अंतिम सांस तक लड़ेंगे।

बार अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि कोलेजियम का यह निर्णय इलाहाबाद हाईकोर्ट को तोड़ने की मंशा को प्रदर्शित करता है। लेकिन बार एसो. ऐसा कदापि नहीं होने देगा। आम जनता का न्यायपालिका पर विश्वास बना रहे, इसके लिए 24 मार्च को आकस्मिक आम सभा लाइब्रेरी हाल में आयोजित की गई है। सर्वसम्मति से उचित फैसला लिया जाएगा। आगे कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट विशेषकर जजों की कम संख्या की समस्या से जूझ रहा है। इससे नए मुकदमों पर कई महीने बीत जाने के बाद भी सुनवाई नहीं होती। इससे वादकारियों का न्यायपालिका पर विश्वास समाप्त हो रहा है और उनका हित प्रभावित हो रहा है।

 

 

न्यायाधीशों की नियुक्ति से पहले बार से नहीं लिया जाता परामर्श

 

न्यायमूर्तिगणों की कमी है और लगातार समस्याओं के बावजूद पिछले कई सालों से नए जजों की नियुक्ति नहीं हुई है। यह भी चिंता का विषय है कि बार के सदस्यों को पदोन्नत करके न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय बार से कभी भी परामर्श नहीं किया गया। पात्रता पर विचार मानक के अनुरूप नहीं किया जा रहा है। इस वजह से भ्रष्टाचार हुआ है। इसका परिणाम यह है कि न्यायपालिका में जनता के विश्वास को बहुत नुकसान पहुंचा है।

पत्र में कहा गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कई समस्याओं का सामना कर रहा है। विशेष रूप से जजों की कमी के कारण नए मामलों की महीनों तक सुनवाई नहीं हो रही है। इससे लोगों का कानून के शासन पर विश्वास कम हो रहा है।आगे कहा कि बार एसोसिएशन को लगता है कि इन सभी कारकों के पीछे साजिश है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को दो भागों में विभाजित किया जाए। इस संबंध में उपयुक्त निर्णय लेने के लिए सोमवार 24 मार्च को दोपहर 01:15 बजे आम सभा की आकस्मिक बैठक बुलाई गई है।

Courtsy amarujala.
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