इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि जमानत का आधार बनता है तो केवल आपराधिक इतिहास के आधार पर इन्कार नहीं किया जा सकता है। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने सदाकत खान की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि जमानत का आधार बनता है तो केवल आपराधिक इतिहास के आधार पर इन्कार नहीं किया जा सकता है। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने सदाकत खान की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली। सदाकत पर बरेली जेल में अतीक के भाई अशरफ से अवैध रूप से मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोप में थाना बिथरी चैनपुर में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। उसने जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की।
अधिवक्ता ने दलील दी कि सदाकत का नाम एफआईआर में नहीं था। उसे बाद में एक सह-अभियुक्त लाला गद्दी के बयान के आधार पर आरोपी बनाया गया। आवेदक पर अशरफ से अवैध रूप से बरेली जेल में मिलने के अलावा कोई अन्य आरोप नहीं है। सदाकत 29 नवंबर 2024 से जेल में है। शासकीय अधिवक्ता ने जमानत का विरोध किया। कहा, सदाकत अशरफ का सहयोगी था और उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं जो अशरफ से मुलाकात की पुष्टि करते हैं। ऐसे में आपराधिक इतिहास को देखते हुए जमानत न दी जाए।