गले में ढोल लटकाकर होली के पारंपरिक गीतों पर झूमते नाचते युवाओं ने पर्व की मस्ती को और चटख बना दिया। इन सबके बीच सबसे खास रही लोकनाथ की जग विख्यात कपड़ाफाड़ होली। इस बार वहां नाकाबंदी… गीत पर पूरे शहर को झुमाने-नचाने वाले स्पीकर जमीन पर नहीं हवा में लहराते रहे।
होली पर रंगों संग मस्ती-मनोरंजन और धमाल का अनूठा संगम शहर की सड़कों पर नजर आया। न कोई भेद न किसी तरह का फर्क। हर चेहरे पर मिलन का एक जैसा रंग चढ़ा। जगह-जगह हुलियारों की टोली इकट्ठा होकर होली के रंग बरसाती रही तो कहीं अबीर- गुलाल उड़ाए जाते रहे। गले में ढोल लटकाकर होली के पारंपरिक गीतों पर झूमते नाचते युवाओं ने पर्व की मस्ती को और चटख बना दिया। इन सबके बीच सबसे खास रही लोकनाथ की जग विख्यात कपड़ाफाड़ होली।
इस बार वहां नाकाबंदी… गीत पर पूरे शहर को झुमाने-नचाने वाले स्पीकर जमीन पर नहीं हवा में लहराते रहे।सुबह 10:30 बजे लोकनाथ मिलन संघ के अध्यक्ष निखिल पांडेय अपने घर से हुलियारों की टोली के साथ अबीर-गुलाल लेकर निकले। बाबा लोकनाथ के दरबार में गुलाल अर्पित करने के बाद सबमर्सिबल पंपों से नगर निगम के टैंकरों में रंग घोला जाने लगा। ब्लोइंग मशीनों से रंगों की बौछार शुरू हो गई। नाकाबंदी के गीत पर लोकनाथ चौराहे से जीटी रोड तक हर कोना खचाखच भीड़ से पैक हो गया।
कपड़ा फाड़ने के बाद मिला प्रवेश
बाइक से या पैदल जो भी लोकनाथ की तरफ आया, उसके कपड़े फाड़ने के बाद ही प्रवेश दिया जाता रहा। कपड़े फाड़कर बिजली के तारों पर फेंके जाते रहे। सुबह से दोपहर बाद तक 30 क्विंटल से अधिक अबीर, पांच क्विंटल से अधिक कागज की कतरने उड़ाई गईं। इस दौरान हर तरफ मस्ती और धमाल मचता रहा। लाउडस्पीकरों पर तरह-तरह के होली गीतों पर एक साथ एक रंग में रंगे युवा नाचते रहे।
इस बार होली के परंपरागत और फिल्मी गीतों के साथ ही महाकुंभ पर आधारित गीत भी खूब बजते रहे। महाकुंभ के बाद होली लोगों के लिए खुशियों की दोहरी सौगात लेकर आई। चाहे खुल्दाबाद हो या बहादुरगंज या फिर जानसेनगंज और रानी मंडी की गलियां, हर तरफ से लोग लोकनाथ की ओर ही बढ़ते नजर आए।लोगों का हुजूम इस कदर उमड़ा कि तिल रखने तक की जगह नहीं बची।
हुलियारों के लिए यहां स्पेशल रेन डांस के इंतजाम किए गए थे। इसके साथ ही एक बार फिर कपड़ाफाड़ होली हर किसी के लिए यादगार बन गई। चौक इलाके के साथ ही दूसरे मोहल्लों और कॉलोनियों में भी जमकर रंग बरसते रहे। कॉलोनियों में भी डीजे लगाकर होली पर रंगों में भीगने और नाचने के खास इंतजाम हर किसी का ध्यान खींचते रहे।
महिलाओं-युवतियों ने भी जमकर खेली होली
कॉलोनियों और गलियों में महिलाओं की टोली खास अंदाज में होली का हुल्लड़ मचाने में मगन रही। यहां बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई मस्ती और धमाल करने में जुटा रहा। शहर में तकरीबन सभी जगह इसी तरह का माहौल रहा। संगमनगरी में तीन दिनों तक सड़कों पर रंग खेले जाने की अनूठी परंपरा है।
11 फीट लंबी पीतल की पुरानी पिचकारियों से आज ठठेरी बाजार में बरसेगा रंग
पीतल की 11 फीट लंबी पिचकारियां पुरनियों ने निकलवा ली हैं। ठठेरी बाजार की होली का लंबे समय से प्रबंधन देख रहे रोहित कसेरा बताते हैं कि इस बार पुरानी पिचकारी का वाशर कट गया था। इसकी मरम्मत ही नहीं हो पा रही थी। किसी तरह वाशर टीक करा लिया गया है। नगर निगम के टैंकरों में रंग घोला जाएगा। दूल्हे की बरात भी निकाली जाएगी।
बरसे सौहार्द के रंग… एक ओर गुलाल उड़े दूसरी ओर जुमे की अदा हुई नमाज
होली पर संगम के शहर में प्रेम-सौहार्द के रंगों की बारिश ने कौमी एकता की राह पर बढ़ने का नया सलीका दिया। शहर का हृदयस्थल कहे जाने वाले चौक में एक तरफ लोकनाथ की मशहूर कपड़ाफाड़ होली में रंगों की बौछार से लोग तर-ब-तर हुए तो दूसरी ओर जामा मस्जिद में उसी वक्त खुतबे के बाद बाजमात जुमे की नमाज अदा कर मिसाल पेश की गई। दोनों समुदायों के लोगों ने अपनी-अपनी संस्कृति और परंपरा का मान बढ़ाया।
सुबह 10 बजे ही लोकनाथ की कपड़ाफाड़ होली का आगाज हुआ। जामा मस्जिद के सामने बैरिकेडिंग कर दी गई थी। लोकनाथ चौक से लेकर कोतवाली के पास तक बैरिकेडिंग के बीच रंगों की बौछार होने लगी। जामा मस्जिद के बगल वाली ठठेरी बाजार की गली में भी रंगों से लोग तरबतर होने लगे। उधर, ठीक दोपहर एक बजे तय एलान के मुताबिक चौक जामा मस्जिद में खुतबे के बाद जुमे की अजान हुई। इसके बाद 1:15 बजे शाही इमाम सैयर रईस अख्तर हबीबी ने जुमे की नमाज पढ़ाई।
उन्होंने नमाज के बाद अपनी तकरीर में दोनों कौम के लोगों को एक-दूसरे का सम्मान करने के लिए मुबारकबाद दी। कहा कि ऐसा खास मौका कभी-कभार आता है। ऐसे में शहर के लोगों ने अपनी-अपनी संस्कृति और परंपरा का मान बढ़ाकर नई पढ़ी को भी एक सीख दी है। तकरीर में उन्होंने मुसलमानों से आग्रह किया कि वह हमाम गली से शांतिपूर्वक अपने घर जाकर काम में लग जाएं।
शाही ईमान ने दोनों कौम के लोगों को दी मुबारकबाद
चौक जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद रईस अख्तर हबीबी का कहना था कि मेरे वालिद मोहतरम के बताए रास्ते पर इसी तरह अपने जिले में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल हर मौके पर आप लोग पेश करते रहें। एक-दूसरे के दुख-दर्द में शरीक होने का चलन बढ़ाया जाए। यही वक्त की जरूरत है। जिस तरह से होली और रमजान मुबारक का दूसरा जुमा इत्मिनान और सुकून के साथ गुजरा, वह दोनों कौम के लोगों के लिए काबिलेतारीफ है। इसके लिए शहर के लोगों को जितनी मुबारकबाद दी जाए कम है।
ऐलान के मुताबिक लोगों ने अपने करीब की मस्जिदों में नमाज अदा किया। जामा मस्जिद में भीड़ इकट्ठा नहीं होने दिया। गली से ही पीछे से लोग आए और शांतिपूर्वक घरों को चले गए। यह सलीका और आदर का भाव सबके जेहनोदिल में आपसी प्रेम की नई छाप छोड़ गया। इस खास मौके पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने जिस सूझबूझ से व्यवस्था संभाली, वह तारीफ के योग्य है। – मोहम्मद आजम, अध्यक्ष-जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी-चौक।
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