प्रयागराज। सनातन परंपरा में प्रथम पूज्यनीय माने जाने वाले गणपति के 10 दिनी उत्सव को मनाने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन विधि विधान से विसर्जन करने की परंपरा है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष महीने की चतुर्थी तिथि से चतुर्दशी तिथि तक का समय देश भर में गणेश उत्सव के तौर पर मनाया गया।घर ,मंदिर ,गली, चौक और चौराहों में विघ्नहर्ता की स्थापना हुई और उनके भजन ,कीर्तन, आरती आदि से दिशाएं गूंजती रहीं।चतुर्थी तिथि को गणपति की स्थापना के बाद अनंत चतुर्दशी तिथि में उनका विसर्जन किया जाता है और इसकी परंपरा बनी हुई है। हाला कि गणपति विसर्जन का समय श्रद्धालु अपनी सहूलियत और श्रद्धा के अनुसार निर्धारित करते हैं जिसमें श्रद्धालु 1,5,7 या पूरे 10 दिन तक गणपति की स्थापना करते हुए इसी अनुसार विसर्जन करते हैं। अनंत चतुर्दशी का दिन गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन का दिन शुभ माना जाता है। इसी क्रम में शंकरगढ़ क्षेत्र में अनंत चतुर्दशी पर धूमधाम से गणपति विसर्जन का आयोजन किया गया। भक्तों ने नम आंखों से गणपति बप्पा को विदाई दी और अगले वर्ष जल्दी आने की कामना की। गणपति विसर्जन के दौरान क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में शोभा यात्राएं निकाली गई। जिनमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए इन शोभायात्राओं में पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन और भक्ति गीतों ने शमा बांध दिया। विसर्जन से पहले भक्तों ने गणपति बप्पा की पूजा अर्चना किया और उन्हें विदाई देते समय भावुक हो गए। क्षेत्र में गणपति विसर्जन के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी जहां श्रद्धालुओं ने पारंपरिक पूर्व विसर्जन अनुष्ठानों में भाग लिया। इस दौरान महिलाओं ने भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन जैसे अनुष्ठानों में भी भाग लिया। गणपति बप्पा को विदाई देते समय लोगों ने गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस जल्दी आओ के जयकारे से पूरा क्षेत्र गूंजायमान हो उठा।शंकरगढ़ पुलिस की मुस्तैदी से सकुशल विघ्नहर्ता की विदाई का कार्यक्रम संपन्न हुआ।
Anveshi India Bureau