जैसे इस्राइल ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम से ईरानी हमले को नाकाम किया, ठीक वैसी ही अभेद्य सुरक्षा तैयारी चीनी सीमा पर भारत ने भी की है।
पिछले दिनों ईरान ने इस्राइल पर 120 मिसाइल तथा 300 ड्रोन से हमला किया, परंतु ईरान के 99 फीसदी मिसाइल और ड्रोन को इस्राइल के एयर डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही नाकाम कर दिया! हालांकि इसमें अमेरिका, इंग्लैंड, और फ्रांस इत्यादि देशों ने भी उसकी मदद की थी, परंतु इसका श्रेय इस्राइल के अनूठे रक्षा कवच आयरन डोम नामक एयर डिफेंस सिस्टम को जाता है।
ईरान जैसी ही हरकत चीन ने भी 2019 में लद्दाख के गलवां में की थी! दरअसल 1996 में भारत और चीन के बीच हुए समझौते के अनुसार, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएससी) के पास नोमैंस लैंड या सीमाओं के मध्यवर्ती क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिक बगैर हथियारों के ही गश्त करेंगे! इसी समझौते के अनुसार, गलवां में दोनों देश की सेनाओं के बीच बातचीत के लिए जून, 2019 में एक बैठक आयोजित की गई थी।
इसमें हिस्सा लेने भारतीय सैनिक तो बगैर हथियारों के पहुंचे, लेकिन चीनी सैनिक कंटीले तार लगे लाठी-डंडों के साथ आए और बिना किसी उकसावे के उन्होंने भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया। मगर निहत्थे भारतीय सैनिकों ने बहादुरी से इसका जवाब देते हुए कई चीनी सैनिकों को ढेर कर दिया तथा सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण पहाड़ियों पर भी कब्जा कर लिया। अब इस क्षेत्र में चीन आसानी से घुसपैठ नहीं कर सकेगा!
चीनी हमले का वही परिणाम हुआ, जैसा कि इस्राइल पर ईरान के हमले का हुआ है। इससे चीनी सैनिकों की साख पर भारी धब्बा लगा है। इस्राइल को ईरान के हमले को नाकाम करने से जो उपलब्धियां हासिल हुई हैं, वहीं लाभ भारत को भी मिला था।
भारत ने गलवां हमले के बाद चीनी सीमा पर अपनी रक्षा तैयारी पर और जोर देना शुरू कर दिया है! भारत ने चीनी सीमा पर हवाई सुरक्षा को इस्राइल की तरह अभेद्य बनाने के लिए लद्दाख के पास नियोमा में नए हवाई अड्डे का निर्माण किया है! इसके अलावा, दौलत बेग ओल्डी नामक हवाई पट्टी का भी विस्तार किया गया है। इन दोनों स्थानों से अब राफेल जैसे लड़ाकू विमान उड़ान भर सकते हैं! हवाई हमले की पूर्व सूचना देने के लिए भारत ने आकाशतीर नामक एयर डिफेंस सिस्टम को भी चीनी सीमा पर तैनात कर दिया है! आधुनिक तकनीक से निर्मित इस सिस्टम की सूचना के आधार पर दुश्मन के हवाई जहाज या मिसाइलों को गिराने के लिए आकाश मिसाइल की यूनिट तैनात की गई है! यह मिसाइल लेजर सिस्टम से नियंत्रित होती है, जिसे लक्ष्य से भटकाना असंभव है।
इनके अतिरिक्त, दुश्मन पर मिसाइल से हमला करने के लिए आईजीएलए नाम की मिसाइल के 120 लॉन्चर भी चीन सीमा पर तैनात किए गए हैं। 1,000 आधुनिक ड्रोन किसी भी खतरे से मुकाबले के लिए हमेशा तैयार रहते हैं! यही नहीं, लद्दाख तथा अरुणाचल प्रदेश में जमीनी युद्ध के लिए आर्म्ड कोर की टैंक यूनिटों को भी तैनात किया गया है। सेना की स्ट्राइक कोर, जिसमें लड़ाकू टैंक यूनिटों के साथ करीब 15,000 सैनिक होते हैं, को भी अरुणाचल में स्थापित कर दिया गया है!
सीमा पर शीघ्र सैन्य सहायता तथा रसद पहुंचाने के लिए अरुणाचल की सीमा तक कई पुलों तथा सड़कों का निर्माण किया गया है! यहीं पर बीते मार्च में प्रधानमंत्री मोदी ने सेलापास नामक सुरंग का उद्घाटन किया। 2010 से पहले लेह को भारत से जोड़ने के लिए केवल एक सड़क श्रीनगर–लेह थी ! अब लेह को एक और लंबी सुरंग द्वारा हिमाचल प्रदेश से भी जोड़ दिया गया है। हिमाचल वाला मार्ग बहुत सुरक्षित है, जिस तक पाकिस्तान पहुंचने की सोच भी नहीं सकता! इस प्रकार अरुणाचल प्रदेश और लेह-लद्दाख के लिए संचार व्यवस्था और सड़क मार्गों की व्यवस्था से इन स्थानों की सुरक्षा व्यवस्था और भी मजबूत हो गई है। भारत की इन रक्षा तैयारियों को देखकर अब चीन भारत पर कुदृष्टि डालने की सोच भी नहीं सकता!