पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद ए मुस्तफा (सoअo वo)की बेटी जनाबे फात्मा ज़हरा की यौमे पैदाइश पर ज़ायर हुसैन द्वारा क़ायम अन्जुमन ग़ुन्चा ए अब्बासिया की ओर से बख्शी बाज़ार स्थित मस्जिद क़ाज़ी साहब में महफ़िल ए शुआ ए नूर के 72 वें दौर की महफ़िल में शायरों ने एक से बढ़ कर एक अशआर सुना कर वाह वाही बटोरी।रंगीन झालरों व क़ुमक़ुमों से सजी मस्जिद में शहीर रालवी की निज़ामत में सजी जश्न की महफ़िल में शहंशाह मिर्ज़ापुरी ने पढ़ा- जब से मैं सुना क़ब्र में खुद आते हैं मौला !जीने से ज़्यादा मुझे मरने की खुशी है!शायर इरफान लखनवी ने पढ़ा करता न खुदा खल्क ज़मीं आसमां ज़हरा!वजहे भी तेरी तखलीक़े बिना ज़ात तेरी है! शायर हाशिम बांदवी ने अपने तास्सुरात का इज़हार करते हुए पढ़ा- अर्श होता न फर्श और न हम! वजहे तख़लीक़ दो जहां हैं बुतूल!बाहरी शहरों से आए शायरों में खादिम शब्बीर नसीराबादी ,बाक़र बलियावी ,दिलकश ग़ाज़ीपुरी ,अहमद सज्जाद लखनवी ,मायल चंदौलवी , शहंशाह मिर्ज़ापुरी ,अफ़रोज़ ज़ैदी दत्तियावी ,उरुज अब्बास ग़ाज़ीपुरी ,ऐलिया बलियावी ,ऐलिया ग़ाज़ीपुरी के साथ मुक़ामी शायरों में अमन दरीयाबादी ,ज़की अहसन ,ज़मीर भोपतपूरी ,रौनक़ सफीपूरी , डॉ क़मर आब्दी ,आज़म मेरठी ,बाबर ज़हीर , आमिरुर रिज़वी ,इक़तेदार सिरसिवी ,असग़र दरीयाबादी ,जावेद दुल्हीपुरी ,आबिद सोनवी ,हाशिम बांदवी ,अज़हर रिज़वी ,इरफान लखनवी ,अली शहीर रालवी ,शहंशाह सोनवी आदि शायरों ने मिसरे तरहा पर अपने अशआर सुना कर जमकर वाह वाही बटोरी ज़ाकिर ए अहलेबैत रज़ा अब्बास जैदी ने इस्मत ए ज़हरा की यौमे पैदाइश पर विस्तृत प्रकाश डाला!महफ़िल में मौलाना जवादुल हैदर रिज़वी ,मौलाना अफ़ज़ल अब्बास ,मौलाना ज़रग़ाम हैदर ,मौलाना आमिरुर रिज़वी ,मौलाना जाबिर अब्बास ,मौलाना डॉ रिज़वान हैदर ,काज़िम अब्बास ,अहमद जावेद कज्जन , आग़ा मोहम्मद कैसर ,वक़ार हुसैन , सैय्यद मोहम्मद अस्करी , रिज़वान जव्वादी ,ज़ुलक़रनैन आब्दी ,अरशद अली ,अमन जायसी ,अख्तर अली ,ज़फ़र ज़ेया ,बाक़र मेंहदी ,ज़रगाम हैदर ,खान उमर ,जमाल क़ासिम ,मज़हर ज़ेया , आमिर आदि शामिल रहे।
Anveshi India Bureau