डाक विभाग ने आज महाकुंभ 2025 पर तीन विशेष डाक टिकटों की स्मारिका जारी की। इन टिकटों का अनावरण केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया द्वारा अरैल घाट डाकघर, प्रयागराज में किया गया।
महाकुंभ 2025 की समृद्ध परंपराओं को सम्मान देते हुए विशेष फिलैटेलिक सामग्री भी जारी की गई, जिसमें पवित्र स्नान पर्वों पर विशेष आवरण (स्पेशल कवर) और विशेष मुहरें (कैंसलेशन), ‘दिव्य, भव्य और डिजिटल महाकुंभ’ थीम पर टिकट और ‘प्रख्यात प्रयागराज’ का चित्र पोस्टकार्ड शामिल हैं। ये फिलैटेलिक संग्रहणीय वस्तुएँ महाकुंभ के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को उजागर करती हैं।
कुंभ मेले की पौराणिक पृष्ठभूमि
कुंभ मेले की उत्पत्ति हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ी है। प्राचीन ग्रंथों में वर्णित समुद्र मंथन की कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश को लेकर संघर्ष हुआ। इस संघर्ष के दौरान अमृत की बूंदें चार स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरीं, जहाँ अब कुंभ मेले का आयोजन होता है। , जो धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
तीन विशेष डाक टिकटों का परिचय
जारी किए गए तीन डाक टिकट इस श्लोक से प्रेरित हैं—
त्रिवेणीं माधवं सोमं भरद्वाजं च वासुकिम्।
वन्दे अक्षयवटं शेष प्रयागं तीर्थनायकम।।
इन तीन डाक टिकटों की डिजाइन शंख समंता द्वारा तैयार की गई है, जो त्रिवेणी तीर्थ के तीन प्रमुख पहलुओं—महर्षि भरद्वाज आश्रम, स्नान और अक्षयवट को दर्शाते हैं।
1. महर्षि भरद्वाज आश्रम: यह आश्रम प्राचीन काल में एक प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र था। रामायण में उल्लेख है कि श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने वनवास के दौरान इस आश्रम में विश्राम किया था।
2. स्नान: त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान का विशेष महत्व है। लाखों श्रद्धालु यहाँ पापमोचन और मोक्ष प्राप्ति की भावना से स्नान करते हैं।
3. अक्षयवट: यह अमर वटवृक्ष है, जिसके बारे में मान्यता है कि श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने वनवास के दौरान इसके नीचे विश्राम किया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह वृक्ष प्रलय (cosmic dissolution) के दौरान भी अडिग बना रहता है।
महाकुंभ 2025 के ऐतिहासिक अवसर पर संग्रहणीय डाक टिकट प्राप्त करें!
महाकुंभ 2025 की इस ऐतिहासिक स्मृति को संजोने के लिए विशेष डाक टिकट, प्रथम दिवस आवरण (First Day Cover) और प्रचार पुस्तिकाएँ (Brochure) उपलब्ध हैं।
इन्हें प्राप्त करने के लिए https://www.epostoffice.gov.in/ पर विजिट करें और इस ऐतिहासिक आयोजन की गौरवमयी स्मृति को संकलित करें।
Anveshi India Bureau