महाकुंभ नगर। महाकुंभ नगर में लगे किन्नर अखाड़ा में आज श्री श्री अर्द्धनारीश्वर महायज्ञ की आज पूर्णाहुति हुई। किन्नर अखाड़ा के संरक्षक / संस्थापक महन्त दुर्गा दास नंद गिरी महराज ने बताया कि यज्ञ वैदिक संस्कृति का प्रधान अंग है। अतः सुख शांति के स्थापनार्थ सबको श्रद्धा पूर्वक वेदोक्त यज्ञों को अपनाना चाहिए। सामान्यतः कुशलता पूर्वक जो देव अनुष्ठान किया जाता है, उसे “यज्ञ” कहते हैं, समष्टि सम्बंध होने से उसी को महायज्ञ कहते हैं। उन्होंने कहा कि अर्धनारीश्वर शब्द संस्कृत से लिया गया है इसमें तीन शब्दो का मिश्रण है: अर्ध (आधा), नारी (स्त्री), ईश्वर (देवता) इसका अर्थ है कि एक ऐसा देवता जो अर्ध पुरूष और अर्ध स्त्री है, इतिहास पुराणादि ग्रथों के माध्यम से स्पष्ट है, यद्यपि किन्नर देव योनि श्रृंखला शिव शक्ति के समरूपता का प्रत्यक्ष स्वरूप है।
महंत दुर्गा दास नंद गिरी महाराज ने कहा कि किन्नर वर्ग देवतुल्य, वंदनीय, दर्शनीय तथा पूज्यनीय है। मूलतः श्री श्री अर्द्धनारीश्वर महायज्ञ का पर्याय ही शिवशक्ति यज्ञ है। महाकुम्भ के पुण्य अवसर पर किन्नर अखाड़ा के की ओर से आयोजित श्री श्री अर्धनारीश्वर महायज्ञ में सम्मिलित हो आधिदैविक, आधिभौतिक, आध्यात्मिक तीनों तापों का त्वरित निवारण एवं समस्त कामनाओं की प्राप्ति करें।
महायज्ञ की पूर्णाहुति में अखाड़ा के संरक्षक / संस्थापक महंत दुर्गा दास नंद गिरी महाराज ,महामंडलेश्वर स्वामी पवित्रा नंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी कौशल्यानंद गिरि, महामंडलेश्वर कल्याणी नंद गिरी, महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी माही नंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी जगदंबा नंद गिरी, महामंडलेश्वर इन्दूनंद गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी राजेश्वरी नंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी सतीनंद गिरी सहित बड़ी संख्या में संत, महात्मा और शिष्य शामिल हुए ।
Anveshi India Bureau